पिता और बहन ने कहा जस्टिस लोया सुनवाई के निर्णायक मोड़ पर थे. वह निर्णय देने वाले थे.
26 मई 2014 को एकतरफ पूरे देश में भगवा परचम लहरा रहा था. वहीं दूसरी तरफ मुंबई की सीबीआई अदालत में बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह पर सोहराबुद्दीन हत्याकांड के मामले में इंसाफ की तलवार लटक रही थी. कुछ महीने भर के अंदर ही 30 नवंबर 2014 को सोहराबुद्दीन हत्याकांड की सुनवाई कर रहे जज बृजगोपाल हरिकृष्ण लोया की संदिग्ध हालात में मौत हो गयी. इस मामले में बेख़ौफ़ पत्रकारिता को नए मायने देकर अंग्रेजी पत्रिका caravan ने जज बृजगोपाल की सनसीखेज मौत पर जमीं रहस्य की परतें उधेड़ी .
परिवार का कहना है-संदेहास्पद परिस्थितियों में जस्टिस लोया का शव नागपुर के सरकारी गेस्टहाउस में मिला था। इस मामले को तत्कालीन भाजपा सरकार ने हार्टफेलियर का रूप दिया। लेकिन कई अनसुलझे सवाल इस मौत पर आज भी जवाब मांग रहे हैं। जस्टिस लोया सुनवाई के जिस निर्णायक मोड़ पर थे, निर्णय देने वाले थे, उसकी हम हकीकत में बाद में बताएंगे. वीडियो में पिता और बहन ने सात सवाल उठाए.
1-जस्टिस लोया की मौत कब हुई, इस पर अफसर से लेकर डॉक्टर अब तक खामोश क्यों हैं। तमाम छानबीन के बाद भी अब तक मौत की टाइमिंग का खुलासा क्यों नहीं हुआ
2-48 वर्षीय जस्टिस लोया को न तो दिल की बीमारी थी, न ही इससे जुड़ी कोई मेडिकल हिस्ट्री थी, फिर मौत का हार्टअटैक से कनेक्शन कैसे
3- उन्हें वीआइपी गेस्ट हाउस से सुबह के वक्त आटोरिक्शा से अस्पताल क्यों ले जाया गया , वो भी एक निजी संदिग्ध हास्पिटल में क्यों भर्ती कराया गया
4-हार्टअटैक होने पर परिवार को तत्काल क्यों नहीं सूचना दी गई। जब मौत हार्टअटैक से बताई गई तो फिर नेचुरल डेथ के इस मामले में पोस्टमार्टम क्यों हुआ। अगर पोस्टमार्टम इतना जरूरी था तो फिर परिवार से क्यों नहीं पूछा गया
5-पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के हर पेज पर एक रहस्मय दस्तख्वत हैं, ये दस्तख्वत जस्टिस लोया के कथित ममेरे भाई का बताया गया है। परिवार का कहना है-संबंधित हस्ताक्षर वाला जस्टिस का कोई ममेरा भाई नहीं है
6-अगर इस रहस्यमय मौत के पीछे कोई साजिश नहीं थी तो फिर मोबाइल के सारे डेटा मिटाकर उनके परिवार को ‘डिलीटेड डेटा’ वाला फोन क्यों दिया गया
7-अगर मौत हार्टअटैक से हुई फिर जज के कपड़ों पर खून के छींटे कैसे लगे।
क्या कहता है परिवार
30 नवंबर 2014 को नागपुर के गेस्ट हाउस में जज बृजगोपाल लोया की मौत हो गई थी। जस्टिस लोया साथी जज स्वप्ना जोशी की बेटी की शादी में शरीक होने नागपुर आए थे। उनके रहने का इंतजाम वीआइपी गेस्ट हाउस में हुआ था। अगले दिन एक दिसंबर को परिवार को बताया गया कि मौत हार्टफेलियर से हुई। जज का परिवार लातूर जिले के गेटगांव का निवासी है। उनके पिता आज भी पैतृक गांव में रहते हैं। मेडिकल पेशे से जुड़ीं बहन अनुराधा पुणे में रहतीं हैं। खैर, उस वक्त परिवार ने कुछ नहीं बोला। मगर खोजी पत्रकार निरंजन टकले को जज की मौत का मामला सामान्य नहीं बल्कि संदिग्ध लगा। इस पर उन्होंने जज की भांजी नुपूर से संपर्क किया। फिर उन्होंने जज की बहन और पेश से चिकित्सक अनुराधा बियानी से बातचीत की।
हालांकि जान का खतरा बताकर जज की पत्नी और उनके बेटे ने रिपोर्टर निरंजन से बातचीत से इन्कार कर दिया था। जज की बहन और भांजी ने मौत को पूरी तरह से संदिग्ध बताते हुए चौंकाने वाले दावे किए। उन्होंने बताया कि- मुंबई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने मौत से पहले बृजगोपाल को सौ करोड़ घूस ऑफर की थी। वे चाहते थे कि बृजगोपाल सोहराबुद्दीन केस में आरोपियों को लाभ पहुंचाने के लिए मनचाहा फैसला दें। मगर उन्होंने इन्कार कर दिया था। इस बीच संदिग्ध मौत होती है। फिर नए जज कुर्सी संभालते हैं तो शाह सहित 11 आरोपियों को एक महीने के भीतर फर्जी एनकाउंटर के मामले में क्लीन चिट मिल जाती है।