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Sunday, September 8, 2024

​शिवपाल के जाल में फंसे धुरंधर, राज्यसभा वोटिंग से ठीक पहले बड़ा उलटफेर, मुसीबत में बीजेपी

कानपुर. आज हो रहे राज्यसभा चुनाव के लिए जहां चुनाव आयोग ने कमर कस ली है, वहीं भाजपा को पटखनी देने के लिए पूरा विपक्ष गोलबंद हो गया है। कई माह से रूठे चल रहे चाचा शिवपाल यादव अब भतीजे की तीसरी जीत पक्की करने के लिए जुट गए हैं। कानपुर नगर व देहात के सभी 14 विधायक राजधानी के लिए कूच कर गए हैं। जिनमें भाजपा के 11 तो सपा दो और कांग्रेस का एक विधायक है। जानकारों की मानें तो शिवपाल के चलते भाजपा की नौंवी सीट फंस गई और बसपा के भीमराव अंबेडकर जीत के जादुई आंकड़े को पार कर चुके हैं। शिवपाल और नरेश उत्तम का करीबी फतेहपुर जिले से एक विधायक सपा-बसपा और कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार को वोट दे सकता है। योगी सरकार में मंत्री नहीं बनने और पार्टी में खास ओहदा नहीं मिलने से कानपुर से एक भाजपा के नाराज होने की बात सामने आई है। यह दोनों विधायक कभी सपा और बसपा के दिग्गज नेता हुआ करते थे, लेकिन 2017 से पहले भाजपा ज्वाइन कर ली।
होली के रंग में उड़े मतभेद

उत्तर प्रदेश की राजनीति में सपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष शिवपाल यादव का अपना कद है। कानपुर और यादवलैंड की बेल्ट के लोग एक समय कहते थे कि शिवपाल के बिना यहां एक पत्ता भी नहीं हिस सकता, पर डेढ़ साल से वह हासिए पर चल रहे थे। चाचा-भतीजे की रार के चलते सपा को 2017 में हार उठानी पड़ी। मुलायम सिंह, नरेश उत्तम, सुखराम सिंह यादव सहित कई सपा नेताओं ने चाचा-भतीजे के बीच पनपी जंग को खत्म करने के लिए प्रयास किए। जिसके कारण होली के दिन शिवपाल के पैर छूकर अखिलेश ने रंग गुलाल लगा पुरानी बातें भुलाकर उन्हें गले लगाया। चाचा ने भी भतीजे का जीत का आर्शीवाद देकर उनके पक्ष में कसीदे पढ़े। डिनर पर जहां सपा के सभी विधायक पहुंचे, वहीं मुलायम सिंह यादव का पूरा कुनबा भी मौजूद था। चाचा-भजीते की दोस्ती देख सपाई खासे गदगद दिखे।

एक्शन में आए शिवपाल

उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों के लिए शुक्रवार को मतदान होना है। शिवपाल यादव के एक्टिव होते ही बीजेपी के 9वें उम्मीदवार की जीत के सपने को ग्रहण लग गया है। राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के पक्ष में वोट डालने का ऐलान कर चुके निषाद पार्टी के इकलौते विधायक विजय मिश्रा शिवपाल यादव से मिलने उनके घर पहुंच गए। सूत्रों की मानें तो बीएसपी उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर को जिताने की कमान विपक्ष की ओर से अब शिवपाल यादव के हाथ में आ गई है। शिवपाल भी अपने भतीजे की जीत पक्की करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं। बुंदेलखंड, कानपुर और फतेहपुर के कई भाजपा विधायकों से संपर्क बनाए हुए हैं।

जीत के लिए भाजपा को चाहिए नौ वोट

एक राज्यसभा सीट को जीतने के लिए 37 वोटों की जरूरत होती है। बीजेपी अपने बूते 8 राज्यसभा सीटों पर आसानी से जीत जाएगी। इसके बाद बीजेपी और उसके सहयोगियों के 28 वोट बचते हैं। ऐसे में 9वीं सीट के प्रत्याशी अनिल अग्रवाल को जिताने के लिए उसे 9 और वोटों की जरूरत है। निर्दलीय और सपा-बसपा के बागी विधायकों के सहारे बीजेपी अपनी जीत की आस लगाए हुए हैं। शिवपाल के मैदान में उतरते ही बीजेपी का 9 सीटों पर कब्जा जमाने का सपना बिखरता हुआ नजर आ रहा है। बीजेपी शिवपाल और अखिलेश की नाराजगी को अपने 9वें उम्मीदवार की जीत का कारण बना रही थी लेकिन अखिलेश ने राज्यसभा चुनाव से दो दिन पहले शिवपाल को अपने साथ लाकर बीजेपी के मंसूबों पर पानी फेर दिया है। अब शिवपाल सपा और बसपा के उम्मीदवार को जिताने की जद्दोजहद में जुट गए हैं।

फजीहत के बाद भी काम नहीं आए नरेश

भाजपा ने राज्यसभा की नौंवी सीट पक्की करने के लिए समाजवादी पार्टी के नेता व यूपी की सियासत में मौसम वैज्ञानिक के उपनाम से मशहूर नरेश अग्रवाल को पार्टी में शामिल किया था। लेकिन उनके आने के बाद भी भाजपा को फाएदा होने के बदले नुकसान उठाना पड़ सकता है। मुलायम के करीबी रहे अशोक बाजपेयी ने नरेश के चलते सपा छोड़ी थी, पर उनके भाजपा में आ जाने से बाजेपेयी भी नाराज बताए जा रहे हैं। हलांकि उन्हें भाजपा राज्यसभा का टिकट थमा चुकी है। वहीं सूत्रों की मानें तो नरेश अग्रवाल के बेटे से शिवपाल यादव ने सपंर्क साधा है और मतदान के वक्त वह भी पाला बदल सकते हैं। ऐसे में राज्यसभा की इस सीट का चुनाव रोचक मोड़ पर पहुंच गया है। जानकरों का मानना है कि भाजपा को इस सीट पर हार उठानी पड़ सकती है। विपक्ष के पास अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए पर्याप्त बहुमत है।

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