लखनऊ, दीपक ठाकुर। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में जो घटना घटी वो दुखद है जिसकी निंदा सभी कर रहे है पर हर बार की तरह इस बार भी दंगे पर राजनीति करने का मौका उन पार्टियों को मिल गया जिनकी हालत उत्तर प्रदेश में खराब हो चुकी थी हम बात कर रहे हैं बहुजन समाज पार्टी की।
आपको मालूम होगा कि सहारनपुर में जो संघर्ष हुआ उसमे अभी सच्चाई का पता तो नही चल पाया पर बहन जी ने ये मान लिया है कि वहां दलितों के साथ अन्याय हुआ है और इसी बात को लेकर उन्होंने वहां जाने का फैसला कर लिया।
वहां जाने के वैसे तो कई तरीके थे पर बहन जी ने रोड का रास्ता ही चुना और दलील ये दी कि प्रदेश सरकार ने आकाशीय रास्ते की परमीशन नही दी मतलब आप हेलीकाप्टर से ना जाइये तो उन्होंने गाड़ियों का रेला साथ ले कर सहारनपुर की ओर रुख कर लिया।
यहां तक भी मामला ठीक था आपकी बात समझ मे आई कि आपको अनुमति नही दी गई तो आपने अपने चार पहिया वाहन से पीड़ितों से मिलने का मन बनाया पर जाने से पहले मीडिया के सामने आ कर बिना सच्चाई जाने प्रदेश सरकार पर इल्ज़ामो की झड़ी लगा दी वो भी ठीक आपका काम ही है सत्तापक्ष पर इल्ज़ाम लगाना जब कोई घटना हो तो लेकिन आपको दिल्ली से सहारनपुर तक इतनी जगह स्वागत समारोह के आयोजन की क्या आवश्यकता पड़ गई आपका मिशन तो पीड़ितों से मिलकर उनका दर्द बांटना था फिर आप अपनी अहमियत दिखाने में काहे मशगूल हो गईं।
राजनैतिक पार्टी का फण्डा वाकई आम जनता की समझ से परे है क्योंकि ये पर्दे के पीछे कुछ और नज़र आते हैं और बाहर कुछ और ही गुल खिलाते हैं।