लखनऊ, दीपक ठाकुर। एक समय भाजपा पर तीखे प्रहार करने वाले सपा के नेता धीरे धीरे भाजपा के प्रेमी बनते नज़र आ रहे हैं।भाजपा की नीतियों को जमकर कोसने वालो को अब खुद की पार्टी में ही सौ बुराई नज़र आने लगी है ये क्यों हो रहा है ये सभी जानते हैं।कहते भी हैं कि उगते सूरज को हर कोई सलाम करता है और पिछले कुछ वर्षों में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने जिस तरह को चुनावी जीत दिखाई है उससे सपा छोड़ने वालो में एक उम्मीद जागी है।
समाजवादी पार्टी में परिवार में उठा विवाद कहने को तो खत्म हो गया है पर कौन किसके साथ है और कौन किसकी पीठ में छुरा घोपने की तैयारी कर रहा है ये कहना बड़ा मुश्किल हो गया है।अखिलेश यादव एक ओर जहां पार्टी के लिए युवा मंडली जुटाने में मसरूफ हैं वही चाचा अपनी गोटी फिट करने में व्यस्त दिखाई पड़ते हैं जिससे उन कार्यकर्ताओ को खासी दिक्कत हो रही है जो पार्टी का सुरक्षित भविष्य कैसा होगा ये सोचने में लगे रहते हैं क्योंकि शायद उनको लगने लगा है कि इस पार्टी में परिवार ही ऐसा है जो पार्टी के लिए ख़तरा बन के चुनावी दौर में सामने आ कर उनका भी बेड़ागर्क कर देगा तो इससे पहले की ऐसा कुछ हो तो सुरक्षित जगह पहुंच जाया जाए।
जिस तरह बुक्कल नवाब सरीखे पक्के समाजवादी पार्टी भक्त व्यक्ति ने खुद को महफूज़ करने के लिए भाजपा का दामन थाम लिया उसी तरह ऐसे कई पदाधिकारी और नेता भाजपा की ओर टकटकी लगाए नज़र आ रहे हैं सभी अपनी पार्टी और पद से इस्तीफा देने को आतुर है वही भाजपा भी बाहें फैलाये सभी के स्वागत में खड़ी दिखाई दे रही है।