दीपकठाकुर, न्यूज़ वन इंडिया। हाथों में शस्त्र खुले लंबे बाल जीवा बाहर चेहरा गुस्से से लाल ऐसा रौद्र रूप जिसने असुरों का नाश किया यही स्वरूप आज दिखाई दिया ठाकुरगंज स्थित माँ पूर्वी देवी मंदिर में।सप्तमी को लेकर भक्तों में विशेष उत्साह भी देखने को मिला सभी माँ कालरात्रि के इस रूप को निहारते और उन्हें अपने मधुर भजनों के साथ मनाते हुए दिखाई दे रहे थे।इस दिन मंदिर परिसर को भी विशेष प्रकार से सजाया गया था जो दर्शय को भवायह बना रहा था मानो साक्षात कालरात्रि स्वरूप के दर्शन हो रहे हों।
इसलिए माँ दुर्गा की सातवीं शक्ति को कहा गया शुभंकारी और कालरात्रि
मां दुर्गाजी की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं। दुर्गापूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना का विधान है। इस दिन साधक का मन सहस्रार चक्र में स्थित रहता है। इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है। मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। इसी कारण इनका एक नाम शुभंकारी भी है और मां कालरात्रि काल का नाश करने वाली हैं, इसी वजह से इन्हें कालरात्रि भी कहा जाता है। असुरों के राजा रक्तबीज का वध करने के लिए देवी दुर्गा ने अपने तेज से इन्हें उत्पन्न किया था।
पूर्वी देवी मंदिर में माँ के हर स्वरूप को साक्षात रूप में दिखाने का सफल प्रयास किया जाता है जिसके बारे में जानकारी देते हुए आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रमोद कुमार शुक्ला ने बताया कि मंदिर महिला समिति की सदस्यों के अथक प्रयास से ये सम्भव होता है जो भक्तों का मन मोह लेता है उन्होंने बताया कि आज की विशेष पूजा और विशेष भोग में काफी श्रद्धालु सम्लित हुए जिन्होंने माँ कालरात्रि की उपासना की और प्रसाद भी ग्रहण किया।
इस आयोजन में स्थानीय पुलिस का योगदान भी काफी सराहनीय दिखा हर दिन पूजा अर्चना के समय उनकी मैजूदगी रही ताकि किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना ना घट सके।उम्मीद यही है कि बाकी दिनों में भी उनकी मैजूदगी ऐसे ही बनी रहेगी जिससे महिलाओं में सुरक्षा की भावना बनी रहेगी।