शीर्ष अदालत का कहना है कि यह जीवनरक्षक गैस हर ट्रेन में उपलब्ध होनी चाहिए ताकि सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित मरीजों को आपातकाल में यह उपलब्ध कराई जा सके। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए.एम. खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने रेलवे को इस संबंध में एम्स के डॉक्टरों से भी सलाह लेने को कहा है ताकि चलती ट्रेन में यात्रियों को इलाज मुहैया कराया जा सके।
बेंच ने कहा, ‘रेलवे को ट्रेनों में ऑक्सिजन सिलिंडर रखने चाहिए ताकि सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों को जरूरत पड़ने पर सहायता दी जा सके। यदि कोई यात्री या उसका साथी टिकट कलेक्टर या अटेंडेंट को मेडिकल प्रॉब्लम के बारे में बताता है तो यह उसकी ड्यूटी है कि वह अगले स्टेशन को सूचित करे और वहां पहुंचने पर अस्पताल ले जाकर जरूरी इलाज कराया जा सके।’
राजस्थान हाई कोर्ट की ओर से रेलवे को लंबी दूरी की ट्रेनों में एक मेडिकल ऑफिसर, एक नर्स और एक अटेंडेंट मुहैया कराने के आदेश को केंद्र की ओर से चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया। सरकार ने तर्क दिया था कि ट्रेनों में डॉक्टरों को तैनात करना और बीमार यात्रियों के मेडिकल चेकअप के लिए मशीनें इंस्टॉल करना संभव नहीं है।