28 C
Lucknow
Friday, December 6, 2024

​समाजवादी पार्टी को शक, राजा भइया ने दिया बीजेपी को वोट

लखनऊ
राज्यसभा चुनाव में बिगड़े सियासी समीकरणों और बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी भीमराव आंबेडकर की हार के बाद अब समाजवादी पार्टी अपनी पूर्ववर्ती सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भईया की निष्ठा पर सवालिया निशान लगाने लगी है। एक ओर जहां बीजेपी अपने गठबंधन के साथी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर से चुनाव में हुई बगावत पर जवाब मांग रही है, वहीं दूसरी ओर एसपी भी इस बात की आशंका जता रही है कि राजा भइया ने बीजेपी को अपना वोट दिया है।

विवाद की वजह बीएसपी प्रत्याशी को चुनाव में मिले वोटों की संख्या भी है, जिसकी अंकगणित अब समाजवादी पार्टी के लिए जांच का विषय बन गई है। दरअसल चुनाव बाद अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने दावा किया था कि उसके प्रत्याशी को चुनाव में कुल 32 वोट मिले। बीएसपी को मिले वोट में समाजवादी पार्टी के 7 वोट, कांग्रेस के 7 वोट और बीएसपी के अपने विधायकों के 17 वोट शामिल हैं। इसके अलावा सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के एक विधायक ने भी बीएसपी को वोट किया है।

दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के कुल 47 विधायकों में से 38 ने जया बच्चन को वोट डाले हैं, जबकि पार्टी विधायक नितिन अग्रवाल ने बगावत कर बीजेपी को वोट दिया। इसके अलावा विधायक हरिओम यादव को वोटिंग की अनुमति ना मिलने के कारण उनका वोट भी नहीं पड़ सका। ऐसे में समाजवादी खेमे से बीएसपी को बचे 7 वोट मिले, लेकिन राजा भइया का वोट किसे मिला इस पर दोनों पार्टियां अपने-अपने स्तर पर जांच में जुटी हुई हैं।

‘बुआ-भतीजे’ को झटका, BJP को 9 सीटें

माया के दबाव के बाद डिलीट किया ‘थैंक्यू ट्वीट’?

बता दें कि राज्यसभा चुनाव में जिस तरह राजा भइया वोट करने के बाद योगी आदित्यनाथ से जाकर मिले उससे यह संभावना और प्रबल हो गई कि हो सकता उन्होंने अपना वोट बीजेपी को दिया हो। भले ही राजा ने वोटिंग के बाद बाहर निकलकर पत्रकारों से यह कहा कि उन्होंने समाजवादी पार्टी को ही वोट दिया है, लेकिन अखिलेश यादव ने जिस तरह मायावती के बयान के बाद राजा को धन्यवाद देने वाला अपना ट्वीट डिलीट किया उससे भी इस बात की अटकलें लगाई जा रही थीं कि एसपी के आंतरिक संगठन में राजा की वोटिंग को लेकर कोई आशंकित छवि तो जरूर बनी है। बता दें कि विधानसभा में मौजूद किसी भी निर्दलीय विधायक को राज्यसभा चुनाव के समय अपने वोट की जानकारी साझा करने की अनिवार्यता नहीं होती। ऐसे में राजा भइया का वोट किसे पड़ा, इसकी जानकारी भी किसी के पास नहीं है।

फॉरवर्ड बनाम बैकवर्ड की सियासत का असर

सियासत में जाति आधारित राजनीति को देखते हुए यूपी के सत्ता और विपक्ष दोनों ने ही आगामी चुनावों से पहले जाति के नाम पर अपनी राजनीतिक बिसात बिछाने की तैयारी कर ली है। राज्यसभा के चुनाव में इसका असर भी दिखा है। एक ओर जहां सवर्ण जाति के विधायक बीजेपी के प्रति निष्ठा दिखा रहे हैं, वहीं पिछड़ी जाति के नेता एसपी और बीएसपी के गठबंधन की संभावना में अब विपक्ष के प्रति अपनी वफादारी साबित करने में जुटे हुए हैं।

बीजेपी के साथ गए सवर्ण जातियों के विधायक

इसका असर राज्यसभा के चुनाव में भी दिखा है, जहां एसबीएसपी के दलित विधायक कैलाश नाथ सोनकर ने गठबंधन धर्म से बगावत कर बीएसपी को अपनी वफादारी दिखाई है। निर्दलीय विधायक और सवर्ण जातियों से आने वाले अमनमणि त्रिपाठी, निषाद पार्टी के विधायक विजय मिश्र और एसपी के नेता नितिन अग्रवाल ने बीजेपी के प्रति अपनी निष्ठा दिखाई है। इन समीकरणों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि यूपी की सियासत का अगला अध्याय फॉरवर्ड बनाम बैकवर्ड की राजनीति का होने वाला है, जिसे देखते हुए पार्टियां और सत्तापक्ष अपने-अपने तरीके से ‘लोक लुभावन’ तैयारी करने में जुटा हुआ है।

Latest news
- Advertisement -spot_img
Related news
- Advertisement -spot_img

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें