लखनऊ, दीपक ठाकुर। 29 जून से शुरू हुई पवित्र अमरनाथ यात्रा पर आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है सोमवार सावन का पहला सोमवार अमरनाथ यात्रियों को उस वक़्त भारी पड़ गया जब अनंतनाग के निकट तीर्थ यात्रियों से भरी एक बस पर आतंकियों की बुरी नज़र पड़ गई जिससे 7 यात्रियों को मौत की आगोश में जाना पड़ा और तकरीबन उससे दुगनी संख्या में यात्री बुरी तरह घायल अवस्था मे पहुंच गए हैं।
अमरनाथ यात्रा पर किसी आतंकी हमले की 2002 के बाद ये बड़ी घटना सामने आई है जिसने केंद्र की भाजपा सरकार पर सवालिया निशान लगा दिया है जो सरकार आतंकवादियों को धूल चटाने की बात करती थी वही सरकार घटना पर दुख व्यक्त करने के सिवा कुछ करती नज़र नही आ रही है।अमरनाथ यात्रा को लेकर सरकार काफी पहले से बंदोबस्त करने का काम करती चली आ रही है जिसमे यात्रियों की सुरक्षा को लेकर काफी बयानबाज़ी भी की जाती रही है सरकार तीर्थ स्थल पर आने जाने वाले यात्रियों को पूरी सुरक्षा देने का वादा भी करती है पर अफसोस ये होता है कि हवाई वादों के सहारे तीर्थ करने वाले श्रद्धालुओ पर आतंकी हमला हो जाता है जिससे कई परिवार बर्बाद हो जाते हैं।
गुस्सा आतंकवादियों पर करना लाज़मी है पर हमारी सरकार भी इस गुस्से की बराबर की हकदार है क्योंकि उनकी नाकामी ही ऐसी घटनाओं को होने देने का हौसला देती है जिसका जो गया वो तो वापस दिलाना किसी सरकार के बूते का नही पर हां लोगों को दिखाने के लिए सरकारी संदेशों की झड़ी ज़रूर लगा दी जाती है सभी घटना की निंदा करते नही थकते इस कृत्य को कायरतापूर्ण कृत्य घोषित करते नही थकते।और तो और इसके तुरंत बाद आपात बैठक की जाती है जिसमे घटना पर चर्चा की जाती है बस और क्या लेंगे आप सरकार से।
यहां आक्रोश इसलिए ज़्यादा नज़र आ रहा है मैजूदा सरकार पर क्योंकि आप केंद्र में तो हैं ही साथ ही साथ उस जगह भी मौजूद हैं जहां आतंकी आयेदिन किसी ना किसी को मौत की नींद सुलाने में सफल हो रहा है और आप सिर्फ निंदा कर रहे हैं किसी और जगह कुछ हो जाये तो आप फौरन हरकत में आते हैं और सीधे इस्तीफे की मांग करने लगते है उनकी नाकामी पर फिर आपके साथ भी ऐसे ही सुलूक की उम्मीद क्यों ना की जाए बताइये।