सहारनपुर। सहारनपुर में शुरु हुए जातीय संघर्ष को 24 दिनों का समय बीत चुका है लेकिन हालात अब भी सामान्य नहीं हुए हैं। पिछले एक महीने के भीतर जातीय हिंसा के तीन मामले हुए। जिसमें पहला जातीय संघर्ष 20 अप्रैल को हुआ था। मुख्यधारा के अधिकांश मीडिया संस्थान 9 मई को हुए संघर्ष को ही चिन्हित कर ‘भीम आर्मी’ की निशानदेही करते नजर आ रहे हैं लेकिन 20 अप्रैल को हिंसा की शुरुआत करने वाले तत्वों व 9 मई को शब्बीरपुर में ठाकुरों द्वारा दलितों के घरों को जलाए जाने की खबरों को भुलाता जा रहा है। यहां बड़ा सवाल यह है कि इस जातीय संघर्ष की जड़ कहां हैं और इसकी शुरुआत करने वाला विलेन कौन है?
22 अप्रैल को भाजपा के सांसद राघव लखनपाल के साथ एक दर्जन अज्ञात लोगों के खिलाफ दो मामले दर्ज हुए थे। ये मामले उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में 20 अप्रैल को दो समुदायों के बीच हुए आपसी तनाव के बाद दर्ज किए गए। लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है। राघव के कुछ करीबी लोग अंबेडकर जयंती के दिन ऐसे इलाके से शोभायात्रा निकालना चाहते थे जहां उसकी मनाही थी। उस इलाके में शांति बनाए रखने के लिए वहां कई साल पहले से ऐसे कार्यों पर रोक लगा दी गई थी। अनुमति ना मिलने पर 42 साल के राघव अपने समर्थकों के साथ सहारनपुर पुलिस के एसएसपी लव कुमार के घर पहुंच गए। वहां हंगामा हुआ जिसमें सीसीटीवी कैमरे तोड़े गए और भीड़ ने आसपास की दुकानों को भी लूट लिया।
शोभायात्रा का कुछ स्थानीय लोगों ने विरोध किया था। जिसके बाद ठाकुरों ने तोड़फोड़ शुरु कर दी थी। देखते ही देखते वहां पथराव और आगजनी भी होने लगी। घटना की सूचना मिलते ही भाजपा सांसद राघव लखन पाल शर्मा समर्थकों के साथ वहां पहुंच गए। इसके बाद उन्होंने दोबारा शोभायात्रा निकालने की मांग की थी लेकिन प्रशासन ने इसकी इजाजत नहीं दी थी।
मालूम हो कि 5 मई को महाराणा प्रताप के लिए बिना अनुमति निकाले गए जुलूस के चलते ठाकुरों और दलितों के बीच हिंसा हो गई थी जिसमें एक ठाकुर की मौत हो गई थी और 60 दलितों के घर जला दिए गए थे। हालांकि बाद में यह भी खबर आई कि ठाकुर युवक की मौत आगजनी के दौरान धुएं से हुई।
नौ मई को यह मामला फिर सुलगा जब भीम आर्मी के सदस्य शांतिपूर्ण तरीके से जलाए गए दलित घरों के लिए गांधी पार्क में मुआवजे की मांग कर रहे थे लेकिन पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे दलितों पर भी लाठीचार्ज कर लिया। इसके बाद जवाब में भीम आर्मी प्रदर्शनकारी भी उग्र हो गए और प्रदर्शन किया।
इस घटना के बाद से अधिकांश मेनस्ट्रीम मीडिया चैनल्स, समाचार पत्र और वेबसाइट्स नौ मई की घटना के आधार पर भीम आर्मी की निशानदेही करना शुरु कर दिया। भीम आर्मी के खिलाफ खबरें प्रकाशित की जाने लगी। लेकिन अब सवाल यह भी उठ रह हैं कि पहली जातीय हिंसा के आऱोपी को अब तक क्यों गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है।
कौन हैं राघव लखनपाल
राघव लखन पाल शर्मा, भारत के उत्तर प्रदेश की पंद्रहवी विधानसभा सभा में विधायक रहे। 2007 उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में इन्होंने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के सहारनपुर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा की ओर से चुनाव में भाग लिया।