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Monday, September 9, 2024

​सहारनपुर में अफसरों पर बरसाई गोलियां….दो बसें, तीन कारें और डेढ दर्जन बाइकें जलाई, पथराव के बाद हालात बेकाबू

सहारनपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद अब तक की सबसे बडी हिंसा की घटना मंगलवार को सहारनपुर में हुई, जिसमें उपद्रवियों ने दर्जनों स्थानों पर जमकर आगजनी, तोडफोड, पथराव और फायरिंग की। कई पुलिसकर्मी और मीडियाकर्मी उपद्रवियों के हमले का निशाना बने। पुलिस बल की कमी के चलते अधिकारी विस्फोटक स्थिति के सामने लाचार और बेबस नजर आए। हिंसा और आगजनी पर घंटों बाद भी काबू नहीं पाया जा सका। डीएम नागेंद्र प्रसाद सिंह एवं एसएसपी सुभाष चंद्र दुबे ने स्थिति को संभालने के भरसक प्रयास किए, लेकिन उपद्रवियों पर उसका कोई असर नहीं हुआ। पुलिस ने कई स्थानों पर उपद्रवियों पर काबू पाने के लिए लाठीचार्ज भी किया। डीएम-एसएसपी ने लोगों को समझाने-बुझाने का प्रयास भी किया, लेकिन हिंसा की घटनाएं सहारनपुर नगर और आसपास के गांव और कस्बों में फैल गई।

डीएम एनपी सिंह और एसएसपी सुभाष चंद्र दुबे ने बताया कि भीम आर्मी के लोग बिना अनुमति के नगर के गांधी पार्क में पंचायत आयोजित कर रहे थे। पंचायत में विभिन्न स्थानों से पहुंच रहे लोगों को पुलिस ने आने से रोका तो उन्होंने अपना आपा खो दिया और वाहनों और पुलिस पर जमकर पथराव किया। आगजनी में दो बसें, तीन कारें और डेढ दर्जन से ज्यादा बाइकें जलकर खाक हो गई। दैनिक हिंदुस्तान के पत्रकारों की तीन बाइकें, दैनिक जागरण, अमर उजाला, पंजाब केसरी, जनवाणी के पत्रकारों और फोटोग्राफरों की भी बाइकों और पुलिस के तीन वाहनों को भी उपद्रवियों ने आग के हवाले कर दिया। इन पत्रकारों ने इस संवाददाता को बताया कि उपद्रवियों ने जमकर हिंसा और आगजनी की। मौके पर पुलिस और अधिकारी मौजूद नहीं थे। कई पत्रकारों के साथ मारपीट की गई। घटना को कवर करने गए मीडियाकर्मियों और चैनलों के कैमरामैनों के कैमरे भी तोड दिए गए। उपद्रवियों ने थाना सदर बाजार के तहत पडने वाली मल्हीपुर पुलिस चौकी फूंक डाली। सहारनपुर नगर के जो थाने हिंसा की चपेट में आए, उनमें थाना कुतुबशेर कोतवाली सदर बाजार, कोतवाली देहात शामिल है। थाना चिलकाना का हलालपुर कस्बा और थाना चिलकाना के हलालपुर कस्बा रामपुर मनिहारान में भी उपद्रवियों ने जमकर बवाल काटा और पत्थरबाजी एवं आगजनी की। थाना रामपुर मनिहारान के पुलिस इंस्पैक्टर वेद प्रकाश गिरी समेत कई पुलिस वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मेरठ डयूटी में गए हुए थे।

हिंसा की शुरूआत दोपहर करीब 12 बजे हुई। पुलिस को स्थिति पर काबू पाने में चार घंटे लग गए। सहारनपुर के बडगांव थाने के शब्बीरपुर गांव में 5 मई को दलित और राजपूतों के बीच हुए संघर्ष को लेकर, जिसमें एक राजपूत युवक की जान चली गई थी और पचासों दलितों के घर फूंक डाले गए थे, की घटनाओं को लेकर भीम आर्मी, जिसके नेता चंद्रशेखर आजाद है, आक्रोशित थी और आज धरना और प्रदर्शन करने जा रही थी। सहारनपुर में 2० अप्रैल को थाना जनकपुरी के सडक दूधली गांव में अंबेडकर यात्रा पर दूसरे संप्रदाय के लोगों के पथराव और फायरिंग से भी भारी हिंसा और आगजनी की घटना हुई थी। भाजपा सांसद राघव लखनपाल शर्मा की अगुवाई में उस घटना के विरोध में प्रदर्शन करने को लेकर भाजपा सांसद और विधायकों के खिलाफ तत्कालीन एसएसपी लव कुमार वर्मा ने मुकदमें दर्ज कराए थे। उस प्रकरण को लेकर भाजपा आलाकमान ने अपनी गहरी नाराजगी और चिंता जताई थी। उसके बाद सहारनपुर के डीएम और एसएसपी दोनो बदल दिए गए थे। लेकिन अभी भी कमिश्नर, डीआईजी, एसपी सिटी संजय यादव, एसपी देहात रफीक अहमद और एडीएम एफ. हरीश चंद्र आदि सभी प्रमुख अफसर पिछली सरकार के कार्यकाल के ही सहारनपुर में डटे हुए है। रविवार सात मई को प्रदेश के प्रमुख गृह सचिव देवाशीष पंडा और डीजीपी सुलखान सिंह सहारनपुर आए थे। दोनो अफसरों ने मीडिया से बातचीत में भरोसा दिया था कि अब सहारनपुर में हिंसा की पुनरावृत्ति नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने पिछली घटनाओं के लिए किसी भी अधिकारी को दोषी नहीं मानते हुए पूरे जिला पुलिस-प्रशासन को क्लीन चिट भी देने का काम किया था। नए एसएसपी और डीएम ने शब्बीरपुर की घटना के पीछे दलित आर्मी की भूमिका को जिम्मेदार माना था, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। पुलिस-प्रशासन ने ऐसे लोगों को पूरा मौका दिया और उसी के नतीजे में सहारनपुर आज हिंसा की चपेट में आ गया।

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