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Tuesday, December 3, 2024

​साइकिल पर बेचते थे च्यवनप्राश, अब खड़ा किया 10 हजार करोड़ का ब्रांड

पानीपत (हरियाणा)। बाबा रामदेव द्वारा पतंजलि के नाम से खड़ा किए गए कारोबार का सालाना टर्नओवर 10 हजार करोड़ के पार पहुंच चुका है। यह खुलासा बाबा रामदेव ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुद किया। newsoneindia.com बता रहा है उस दृढ इच्छाशक्ति की कहानी के बारे में, जिसके बूते पर पतंजलि ब्रांड कामयाबी के इस शिखर पर पहुंच पाया है। बाबा रामदेव कभी साइकिल पर बेचते थे च्यवनप्राश, ऐसा है डेली रूटीन…

– बाबा का जागना, नाश्ता, खाना और सोना सब पहले से तय शेड्यूल के मुताबिक ही होता है। बाबा सुबह जल्दी उठ जाते हैं और योग सिखाते हैं।

– वे कहीं भी जाएं, योग सिखाना कभी नहीं भूलते। बाबा रामदेव खाने में किसी भी तरह का अनाज नहीं खाते है, वे हमेशा डाइट में फल और जूस लेते हैं।

– सुबह का नाश्ता करने के बाद वे दिन में पतंजलि की बिजनेस मॉनिटरिंग भी करते हैं। उन्होंने संकल्प लिया है कि वे केवल हाथ से बने कपड़े ही पहनेंगे।

– उनका कहना है इससे बुनकरों को रोजगार मिलेगा। शुरुआती दिनों में बाबा हरियाणा में साइकिल से घूम-घूमकर च्यवनप्राश बेचते थे।

कैसे मिली बाबा रामदेव को पहचान

– बाबा रामदेव हरियाणा के महेन्द्रगढ़ जिले के सैद अलीपुर गांव से ताल्लुक रखते हैं।

– उनका बचपन हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के अलीपुर गांव में बीता। जब वह 10 साल के थे तो उनका मन अपनी उम्र के बच्चों की तरह खेलकूद में कम ही लगता था।

– वह गांव में कभी-कभार लगने वाले योग शिविरों में दिलचस्पी लेते थे।

– इन योग शिविरों में उनकी उम्र के बच्चे कम आते थे, इसीलिए उनकी दोस्ती अपनी उम्र से बड़े लोगों से होने लगी।

– योग के प्रति लगाव के कारण एक दिन उन्होंने घर-बार छोड़कर ऋषिकेश जाने की ठान ली।

– बाबा रामदेव तब घर-घर में जाना पहचाना नाम बन गए, जब टीवी चैनल्स और कैम्प्स के जरिए लोगों को योग टिप्स देना शुरू किए।

बाबा से ब्रांड तक का सफर

– हरियाणा के एक छोटे से गांव से निकलकर देश के सबसे बड़े योगगुरु के रूप में बाबा रामदेव ने अपनी पहचान बनाई।

– उनका पतंजलि का प्रोडक्ट और पतंजलि योगपीठ आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। इसका मुख्यालय हरिद्वार में है।

– पतंजलि आयुर्वेद ने बड़े शहरों में फ्रेंचाइजी के जरिए अपने प्रोडक्ट बेचना शुरू किया था।

– बाबा के बिजनेस का ये सिलसिला अब कॉस्मेटिक से लेकर किराना के अलावा हर तरह के घरेलू प्रोडक्ट तक पहुंच चुका है और जल्द ही ‘स्वेदेश जिंस’ भी लॉन्च करने वाले हैं।

– रामदेव कहते हैं कि उनके (बालकृष्ण के) बिना कुछ भी संभव नहीं हो सकता। दोनों की मुलाकात 1990 के दशक में हुई थी जब वह एक ही गुरुकुल में पढ़ रहे थे। दोनों ही किसान के बेटे हैं।

– आगे के अध्ययन के लिए दोनों साथ-साथ हिमालय गए, जहां रामदेव ने योग पर ध्यान केंद्रित किया और बालकृष्ण ने आयुर्वेद पर।

– साल 1994 में उन्होंने अपने पहले चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की जहां से वह एक अस्पताल, आयुर्वेदिक उपचार से जुड़ी एक यूनिवर्सिटी और एक आश्रम का संचालन करने लगे।

– वह योग कैंप लगाने लगे और आयुर्वेदिक पद्धति से लोगों की मुफ्त चिकित्सा भी करने लगे। इससे बहुत पहले उन्होंने आयुर्वेद प्रॉडक्ट्स का मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित कर लिया था।

– करीब-करीब उसी वक्त रामदेव ने अपने योगाभ्यास का टीवी पर प्रसारण भी शुरू करवा दिया और देखते ही देखते योग जन-जन तक पहुंच गया।
2006 में की पतंजलि की स्थापना
– साल 2006 में जब रामदेव और बालकृष्ण ने पतंजलि की स्थापना की तो कुछ ही लोगों का ध्यान इस ओर गया होगा, लेकिन 2009 में हरिद्वार से 20 मील दूर 150 एकड़ की जमीन पर फैक्ट्रियां लगनी शुरू हो गईं।

– महज 10 साल में उन्होंने पतंजलि को 5 हजार करोड़ तक पहुंचा दिया। वर्ष 2016-17 में यह लक्ष्य 10 हजार करोड़ होने का अनुमान था, जिसे पूरा कर लिया गया है।

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