लखनऊ,दीपक ठाकुर। वैसे तो हम आपको चारबाग रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के लिए प्लेटफॉर्म पर कैसी सुविधा है इससे कई बार रुबरु करा चुके हैं पर हालात में कोई फर्क नही पड़ा पर आज हम आपको लखनऊ सिटी स्टेशन की तस्वीर दिखाने जा रहे है जो बड़े भाई यानी चारबाग रेलवे स्टेशन से कमतर नही है ये देखिए ये मेंन गेट है जहां से यात्री स्टेशन के अंदर बाहर होते हैं कहने को तो गेट पर लिखा है कि कृपया टिकट दिखाएं पर देखने वाला कहाँ है इसका पता नही हालांकि सिटी स्टेशन पर कम ही गाड़ियां रुकती है पर जितनी भी रुकती है उनमें भारी तादात में यात्री चढ़ते और उतरते हैं।
अब आप अंदर की तस्वीर देखिए हालांकि अभी यहां रंग रोगन का काम चल रहा है फिर भी यहां यात्रियों के बैठने के लिए कुर्सियां नाम मात्र की हैं यही वजह है कि यात्रियों को अपने सामान के साथ ज़मीन पर या पिलर की चौहदी पर बैठ कर गाड़ी का इंतज़ार करना पड़ता है।
अब इन खाली पड़ी कुर्सियों को देखिए ये कुर्सी यात्रियों के लिए नही हैं बल्कि वहां के स्टाफ और रेलवे पुलिस के लिए हैं पर इस गर्मी में वो आफिस के अंदर ही बैठना ज़्यादा उचित समझ रहे हैं नतीजा बेख़ोफ़ बिना टिकट वाले भी प्लेटफार्म पर चहल कदमी करते दिख रहे हैं।
ऐसी तस्वीर इस स्टेशन की ही हो ऐसा कहना गलत होगा क्योंकि वी आई पी प्लेटफार्म को छोड़कर चारबाग में बाकी प्लेटफार्मो का क्या हाल है इससे तो सभी परिचित हैं फिर सिटी स्टेशन पर कौन वीआईपी उतरे या चढ़ेगा तो बाकियों को सुविधा दे कर काहे सबको एक ही श्रेणी में रखा जाए सही भी है रेलवे विभाग आम जनता और वी आई पी में फर्क जो करती है क्योंकि आड़े वक़्त पे तो उन्ही से ज़्यादा पैसा मिलता है ना आम आदमी तो वैसे ही परेशान रहता है तो थोड़ा और सही हां ये अलग बात है कि ट्रेन में पैसा लेते वक्त आम खास में फर्क नही किया जाता पर सवाल ये है कि सुविधा देने में क्यों? इस सवाल के साथ आपको इस लिए छोड़ रहा हूँ ताकि जवाब तलाशने की आप भी कोशिश करिये जैसा स्टेशनों पर माहौल रहता है उससे अपराध और जनता की मुसीबतों पर नियंत्रण कैसे लगेगा यहां कागजी वाह वाही बहुत होती है पर ज़मीनी हक़ीक़त उससे कोसो दूर रहती है।