दीपकठकुर, न्यूज वन इण्डिया। भारत देश मे गरीबी अमीरी एक ऐसी खाई है जिसको पाट पाना किसी भी सरकार के बूते की बात नही।पर कभी कभी ऐसा माहौल बनाया जाता है जिससे लगने लगता है कि बस यही एक उम्मीद है जो ऐसा कर पाने में सक्षम है आपको हमारी बात से अंदाजा लग गया होगा क्योंकि अभी कुछ वर्षों में हमारे देश मे हमारी सरकार द्वारा जो भी कठोर फैसले लिए गए उसके पीछे सरकारी तर्क यही था।
मगर हक़ीक़त की तरफ देखा जाए तो तमाम कोशिशों के बावजूद सब पहले जैसा ही नज़र आ रहा है वही देश मे महंगाई वही भ्रस्टाचार और वही वोट की लालच में बौखलाए राजनैतिक दल सब वही पहले जैसा।बड़ा दुख होता है ये सब देख कर की जनता को सपने दिखा कर उसके साथ धोखा ही क्यों किया जाता है क्यों ये कहा जाता है कि जो अभी है वो आपको लूट रहा है और जब हम आएंगे तो आपके दिन बदल जाएंगे।
भारत देश ने पिछले कई बरसों में सभी को देश की ज़िम्मेदारी दे कर देख लिया सबसे ज़्यादा मौका कांग्रेस पार्टी को मिला जिसने देश को बहुत कुछ दिया पर भ्र्ष्टाचार की पराकाष्ठा पार होने पर गद्दी से उसी जनता ने उसे उतार दिया।बहुत उम्मीद जगाई थी वर्तमान सरकार ने के अच्छे दिन तभी आएंगे जब हम सरकार चलाएंगे इसी बात पर जनता ने एक बार इनको भी उम्मीद से ज़्यादा दे कर सिहासन पर बैठा दिया उसके बाद बड़ा इंतज़ार किया अच्छे दिन आने का पर ना जाने कहाँ वो अच्छे दिन दिखाने वाले मसरूफ हो गए और सिहासन की जुगत में जुट गए।
फिर एक बार देश मे चुनावी दौर शुरू हो गया है दो महीने बाद गुजरात का चुनाव है जो जहां है सभी उसकी जद्दोजहद में जुट गए हैं कांग्रेस के युवराज राहुल उसको पाने की जुगत में लगे हैं तो वही भाजपा साख बचाने में लगी है गुजरात वालो को इसका लाभ भी मिलना शुरू हो गया है पेट्रोलियम पदार्थों के दाम लगभग तीन रुपया कम भी हो गया है ज़ाहिर है रसोई गैस पर भी ऐसा ही कोई चुनावी ऑफर दिया जाएगा पर बाकी जगहों का क्या होगा जहां चुनावी समर नही है क्या वहां की जनता लगभग 700 रुपये गैस सिलेंडर के देती रहेगी या लगभग 80 रुपये में पेट्रोल डलवाती रहेगी और 100 रुपये में सिर्फ आलू गोभी ही खाती रहेगी कुछ तो कृपा कीजिये उन सब पर भी जिन्होंने आपके वादों और आपकी बातों को तरजीह देकर कइयों को सिहासन से बेदखल कर दिया है।