लखनऊ,दीपक ठाकुर।सरकार सत्ता में काबिज होने के बाद कई अहम फैसले लेती है जिससे कार्य को प्रगती मिल सके और जनता को दिकत्तों का सामना ना करना पड़े जिसमे सरकार को पूर्व सरकार द्वारा किये गए कार्यों और योजनाओं को भी खंगालना पड़ता है जिससे ये पता चल सके कि पिछली सरकार ने किस काम को किस ढंग से और किस उद्देश्य से किया था ये बात भी लाज़मी है क्योंकि वर्तमान समय और भविष्य की योजना बनाने के लिए अतीत तो खंगालना ही पड़ता है।
इसी तरह का काम प्रदेश की भाजपा सरकार भी कर रही है जो अभी तक जनता को काफी पसंद भी आ रही है जनता कुछ मामलों में उजागर हुए घोटाले की बात को लेकर सन्न है वही योगी सरकार द्वारा किये जा रहे कार्यों की सराहना भी कर रही है।चलिये जहां घोटालों की आशंका हो वहां वर्तमान सरकार की जांच और उसमें काँट छांट की बात तो समझ मे आती है पर जहां पूर्व सरकार की मंशा जनता हित की थी उसपर कैंची चलाने का क्या मतलब है ये बता दीजिए।
कल की कैबिनेट बैठक के बाद प्रदेश सरकार ने पूर्व सरकार की छुट्टी वाले कैलेंडर से 15 छुट्टी की छुट्टी कर दी हालांकि योगी जी ने छूट्टी को लेकर पहले ही बयान दिया था कि महापुरुषों के नाम पर अवकाश नही होगा बल्कि उनके बारे में कार्यक्रम होंगे जिसको लोगों ने काफी सराहा भी था पर महापुरुषों की आड़ में धर्म से जुड़े त्योहारों पर कैंची चला दी जिससे जनता आहत नज़र आ रही है और पूछ रही है कि क्या सिर्फ 15 छुट्टी हटाने से आपका काम सफल हो जाएगा?
हमारे यहां काफी समय से विश्कर्मा पूजा के दिन अवकाश की व्यवस्था थी जिसमे अखिलेश सरकार का कोई हाथ नहीं था उस पर आपकी कैंची चल गई बल्कि इस दिन उप मुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा जी ऐशबाग जलसंस्थान जा कर स्वयम पूजा में शामिल हुआ करते थे जो काफी बड़े पैमाने में होती थी जब वो मेयर साहब थे।खैर अब आइए छठ पूजा जो देश भर में धूम धाम से मनाया जाने वाला पूर्वांचल का त्योहार है जिसका अवकाश पहले उत्तर प्रदेश में नही होता था पर अखिलेश सरकार ने जनता के काफी अनुरोध और पूजन की प्रक्रिया को देखते हुए उस दिन अवकाश घोषित कर दिया जिसे प्रदेश की जनता ने काफी सराहा था आपने उस पर भी कैंसिल का बटन दबा दिया।
यहां इतना सब कहने का मतलब यही है कि जो बात जनता के हित और उनकी मांग को ध्यान में रख कर पिछली सरकार ने की है उस पर तो आप अपनी कैंची मत चलाइये महापुरुषों वाली बात तो आपकी सौ फीसदी सही थी उन पर अंकुश लगाइये पर धर्म आस्था और विश्वास से जुड़े मामलों पर तो थोड़ा नरम पड़िये क्योंकि इसमें घोटाले की कोई आशंका नही है।