लखनऊ,दीपक ठाकुर। सरकार कुछ जरूरी चीजों पर जनता को सब्सिडी यानी अपनी तरफ से छूट दिया करती है जो काफी पुरानी प्रथा सी हो गई है पर सरकार बदलने से इसके तरीकों में बदलाव किया जाता है वो भी ये कह कर कि इस बदलाव से उनको सब्सिडी का लाभ मिलेगा जो वाकई इसके हकदार हैं।
ऐसी ही एक ज़रूरी चीज़ है हमारा गैस सिलेण्डर जिस पर कांग्रेस सरकार का सब्सिडी देने का तरीका काफी सरल और जन प्रिय था पर भाजपा सरकार आने के बाद ये दलील दी गई कि पुरानी प्रक्रिया में गड़बड़ी होती थी इसलिए उपभोक्ता अब पूरा पैसा तत्काल दे और सब्सिडी अपने अकाउंट से निकाल ले जिसके लिए आधार कार्ड होना जरुरी है।
अब आप ही बताइये महिलाओं के लिए ये स्कीम सही है या पहले वाली।हमने इस सब्सिडी वाले मुद्दे पर कई महिलाओं से बात की तो सबने पहले जी जाने वाली सब्सिडी को ज़्यादा सही और सरल बताया जिसका ठोस कारण भी दिया वो ये कि मानिये आज सिलेंडर आपको 750 रुपये का मिलता है उसमें सरकार आपको 250 रुपए की सब्सिडी देती है तो आपको सिलेंडर पड़ा 500 रुपये का अब आपको सिलेंडर देते वक्त 500 रुपये देने में सहूलियत है या 750 ज़ाहिर सी बात है 500 क्योंकि इससे तुरंत ज़्यादा पैसे नही जाते और सब्सिडी पर संशय भी नही रहता।
वैसे ज़्यादा पैसे तत्काल देने में पुरुषों से ज़्यादा महिलाओं को कष्ट होता है क्योंकि महिलाओं को घर खर्च चलाने के लिए एक सिमित राशि घर का मुखिया देता है अब उसमे से अगर लगभग हज़ार रुपए सिलेंडर के निकल जाए तो चिंता तो होगी ही।
देखा जाए तो सिलेंडर पर सब्सिडी देने का तरीका पहले वाला ही ठीक था जो खास तौर पर महिलाओं को ज़्यादा आकर्षित करता था अब तो उनके हाथ सब्सिडी आती नही पर जमा पूंजी चली जाती है।
बात सही भी है अब आप ही बताइये सब्सिडी खाते में जाने से आपको संशय होता है कि नही के नही दूसरी बात तत्काल मोटी रकम सिलेंडर के लिए देने में कष्ट होता है या नही और क्या सरकार के इस नियम से सिलेंडर की कालाबाज़ारी रुकी है या नही तो जवाब है नही आज भी रिफलिंग का खेल जारी है आवश्यकता पर ज़्यादा पैसे देने से तत्काल सिलेंडर मिल जाता है इसकी टोपी उसके सर गैस वाले कर ही रहे है तो काहे नियम बदल दिया महिलाओं का बजट बिगाड़ने से क्या फायदा इस मामले में तो महिलाओं की राय में कांग्रेस का ज़माना ही ठीक था सब्सिडी का सुख तो तुरतं मिलता था अब तो सब सस्पेंस सा लगता है।