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Saturday, January 18, 2025

​सीबीएसई पेपर लीक : स्टूडेंट्स तक पेपर पहुंचने के 7 स्टेप

सांकेतिक तस्वीर।
नई दिल्ली.इस हफ्ते सबसे चर्चित रहा सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन यानी सीबीएसई पेपर लीक मामला। इसने यह भी साफ कर दिया कि प्रश्नपत्र तैयार होने से लेकर परीक्षा हॉल तक पहुंचने की शृंखला में कई ऐसी कड़ियां हैं, जहां गड़बड़ी की आशंका है। यहां वो सबकुछ एकसाथ जो पेपर लीक के बारे में आप समझना चाहते हैं। साथ में इस एक्जाम सिस्टम की कमजोर कड़ियां।
सेट होने से लेकर सेंटर तक जाने के बीच प्रश्नपत्र ऐसे हुए हैं लीक
1.विशेषज्ञ
परीक्षा से तीन-चार माह पहले नवंबर-दिसंबर में सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन तीन या चार विषय विशेषज्ञों (पेपर सेटर) से प्रश्नपत्र मंगवाता है। हर एक विशेषज्ञ प्रश्नपत्रों के तीन-चार सेट बोर्ड को भेजता है। एेसे में इन्हें खुद पता नहीं होता कौन से प्रश्न परीक्षा में आएंगे।
2.सीबीएसई (कमजोर कड़ी)
इसके बाद सीबीएसई हेडक्वार्टर में क्वेश्चन पेपर कमेटी के सदस्य प्रश्नों को फाइनल करते हैं। तीन सेट में पेपर तैयार करते हैं। यह काम दिसंबर-जनवरी में होता है। सभी सेट हाथ से लिखे होते हैं, ताकि लीक होने पर हैंडराइटिंग से पहचान हो सके। फिर भी पेपर सुरक्षित नहीं।
2004 में यहीं के कर्मचारी पर लगे थे आरोप
सीबीएसई-पीएमटी से पहले दिल्ली पुलिस के हाथ फिजिक्स तथा केमिस्ट्री के प्रश्नों का ऐसा सेट लगा, जो असल प्रश्नपत्र से हू-ब-हू मेल खाता था। इसमें उत्तर भी थे। पुलिस ने मामले में सीबीएसई के परीक्षा नियंत्रक के कार्यालय के एक कर्मचारी को आरोपी बनाया। उस पर एक कोचिंग इंस्टीट्यूट के मालिक को प्रश्नपत्र बेचने के आरोप थे। इस मामले की तरह 2011 में नागपुर में भी सीबीएसई के एक सीनियर अफसर प्रीतम सिंह को पैसों के लालच में एआईईईई के पत्र बेचने का आरोपी बनाया गया था। वे 2005 से यह काम करते आ रहे थे।
3. प्रिंटिंग प्रेस (कमजोर कड़ी)
सेट में तैयार पेपर जनवरी में प्रिंट के लिए जाते हैं। कई तरह के सेट प्रिंटिंग के लिए भेजे जाते हैं, ताकि पता न चले कौन-सा फाइनल है। प्रिंटिंग प्रेस देश में कहीं भी हो सकती है। फिर यह कमजोर कड़ी है।
2011 में प्रिंटिंग प्रेस कर्मचारी के शामिल होने की जांच
सीबीएसई द्वारा आयोजित एआईईईई के प्रश्नपत्र लीक मामले में उस प्रिंटिंग प्रेस के कर्मचारियों के शामिल होने की बात सामने आई थी, जहां पेपर छापे गए थे। यह जानकारी बोर्ड ने अपनी जांच रिपोर्ट में दी। इतना ही नहीं वर्तमान में पेपर लीक मामले में भी पुलिस मध्य दिल्ली के एक प्रिंटिग प्रेस तथा कोचिंग संचालकों के बीच साठगांठ का पता लगाने में जुटी है।
4. परिवहन
प्रिंट हो चुके प्रश्नपत्र सील बंद बॉक्स में एक बार फिर सीबीएसई के ‘सीक्रेसी’ डिपार्टमेंट पहुंचते हैं। यहां से ये करीब एक हफ्ते पहले अलग-अलग शहरों के लिए रवाना कर दिए जाते हैं।
5. बैंक(कमजोर कड़ी)
इन्हें सीधे सेंटर नहीं भेजा जाता। ये शहर के किसी बैंक में रख दिए जाते हैं। मगर यहां भी सेंध लग चुकी है।
2006 में बैंक मैनेजर शामिल मिला
इस बेहद चर्चित मामले में कक्षा 12वीं का बिजनेस स्टडीज पेपर लीक हुआ। सीबीएसई के इस प्रश्नपत्र के लीक हो जाने की जानकारी पुलिस को वाराणसी बम ब्लास्ट से जुड़ी पड़ताल के दौरान मिली। तब पुलिस आरोपियों की तलाश में हरियाणा के पानीपत शहर में होटल तथा ढाबों पर छापे मार रही थी। आरोपी तो हाथ नहीं लगे, लेकिन पुलिस को लीक प्रश्नपत्र मिल गए। बाद में पुलिस ने इस मामले में 6-7 लोगों की गिरफ्तारी की। इनमें एक बैंक मैनेजर तथा कैशियर भी शामिल था।
6. पर्यवेक्षक
परीक्षा की सुबह हर सेंटर के लिए सीबीएसई द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षकों को एसएमएस से जानकारी मिलती है कि उन्हें प्रश्नपत्रों का कौन सा सेट बैंक से लेना है। ये सेट लेकर परीक्षा हॉल तक पहुंचते हैं। मगर ध्यान रखते हैं कि पेपर 1 घंटे से ज्यादा पहले सेंटर न पहुंचे।
7. परीक्षा केंद्र (कमजोर कड़ी)
सेंटर पर परीक्षा से 15 मिनट पहले प्रश्नपत्रों की सील खोली जाती है। मगर ऐसा न हो तो गड़बड़।
2011 में प्रिंसिपल दोषी
निकोबार में सीबीएसई की 12वीं का फिजिक्स व गणित का पेपर लीक हुआ था। मामले में पोर्ट ब्लेयर की विशेष कोर्ट ने नवंबर 2011 में चार लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसमें लापैथी के सरकारी स्कूल का प्रिंसिपल कृष्णन राजू भी शामिल था। इस मामले में पेपर बैंक में नहीं, प्रिंसिपल के पास सुरक्षित थे।

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