सुप्रीम कोर्ट ने दी इच्छा मृत्यु की इजाजत, कहा- सम्मान से मरने का पूरा हक
सुप्रीम कोर्ट ने एक दूरगामी असर वाले फैसले में लोगों को इच्छा मृत्यु की अनुमति दे दी, कोर्ट ने कहा सम्मान से मरना मौलिक व्यक्ति का अधिकार है। इसके साथ ही पांच जजों की संविधान पीठ ने लिविंग विल की भी अनुमति दे दी। अब कोई भी व्यक्ति जिंदा रहते अपनी मौत के बारे में तय कर सकता है। सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने इस बारे विस्तृत दिशानिर्देश तैयार किए हैं। कोर्ट ने यह फैसला कॉमन काज की रिट याचिका पर दिया है।
लिविंग विल का मतलब अब कोई व्यक्ति यह लिखकर रख सकता है कि यदि किसी बीमारी के कारण वह ऎसी अवस्था में आ जाता है जब उसे ठीक नहीं किया जा सकता तो वह जीवन रक्षक उपकरण हटाने के लिए कह सकता है। याचिका कर्ता के वकील प्रशांत भूषण का कहना था कि यदि कोई व्यक्ति बीमारी की ऐसी अवस्था में पहुंच गया है जहां उसे तमाम तरह के इलाज देने के बाद ठीक नहीं किया जा सकता, तो ऎसे व्यक्ति से जीवनरक्षक उपकरण हटा लेने चाहिए। जानकारों के अनुसार इस फैसले के बाद अस्पतालों में मरीजों को वेंटिलेटर और अन्य जीवन रक्षक उपकरण लगाने का व्यवसाय घट सकता है।
क्या है लिविंग विल
– लिविंग विल में कोई भी व्यक्ति जीवित रहते वसीयत कर सकता है कि लाइलाज बीमारी से ग्रस्त होकर मृत्यु शैय्या पर पहुंचने पर शरीर को जीवन रक्षक उपकरणों पर न रखा जाए।
– केंद्र ने कहा अगर कोई लिविंग विल करता भी है तो भी मेडिकल बोर्ड की राय के आधार पर ही जीवन रक्षक उपकरण हटाए जाएंगे।