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Tuesday, December 10, 2024

​स्कूलों को लेकर सरकार का ढुलमुल रवैया भी है ऐसी घटनाओं का ज़िम्मेवार…


लखनऊ,दीपक ठाकुर:NOI।शिक्षा का मंदिर कहा जाने वाला स्कूल अब व्यावसायिक केंद्र के नाम से जाना जा रहा है क्योंकि हर गली मोहल्ले में स्कूलों की भरमार और पैसा कमाने की होड़ सी लग गई है।वैसे तो स्कूल खोलने का तरीका काफी जटिल है क्योंकि सरकार ने जो मानक रखे हैं उसकी पूर्ती करने में कोई भी स्कूल सक्षम नही है यही वजह है कि जुगाड़ से सभी अपना कारोबार चला रहे हैं और ये जुगाड़ ही बड़ी सरकारी नाकामी का नतीजा साबित हो रही है जिसका भुगतान अभिभावकों को करना पड़ रहा है वो भी ऐसा ऐसा की बताने में भी शर्म आ जाये।
अभी की ही एक घटना का जिक्र करता हूँ जिससे आपको ये अंदाज़ लग जायेगा कि सरकार की अनदेखी अभिभवकों पर कितनी भारी पड़ रही है।आपने समाचार के माध्यम से पीजीआई स्थित ऐलन हॉउस पब्लिक स्कूल की घटना सुनी होगी जहां 5 साल की मासूम के साथ स्कूल कर्मचारियों की मिली भगत से इंसानियत को शर्मसार करने वाली वारदात को अंजाम दिया गया वारदात को अंजाम देने में स्कूल की आया सीमा,रिक्शा चालक विकास और एकाउंटेंट इरफान हुसैन और एक अन्य का हाथ था जो फरार चल रहा है मगर पुलिस ने इन तीनो को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया जब मासूम ने उंगली उठाकर इनकी तरफ इशारा किया तब।अब आप ही सोचिए जो मासूम स्कूल में पढ़ाई सीखने गई थी उस पर ऐसी दरिंदगी की जाएगी ये उसके परिवार ने सपने में भी नही सोचा होगा।


हालांकि इस मामले में राज्यमंत्री स्वाति सिंह ने पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने का जिम्मा उठाते हुए कई एक्शन लिए जिससे ये पता चला कि इस स्कूल की मान्यता थी ही नही ऐसे ही कई स्कूल हैं जो बिना मान्यता के चल रहे हैं और उन्होंने स्टाफ के नाम पर ऐसे ऐसों को भर्ती कर रखा है जिनका उनके पास तक कोई रिकार्ड भी नही है ऐसा इसलिए के ऐसे लोग कम पैसे में मिल जाते है।

तो यहां ये बात कहना जरूरी समझता हूं कि सरकार को ऐसे स्कूलों के खिलाफ एक सख्त मुहिम चलानी चाहिए ताकि ऐसे स्कूलों की दुकान बंद हो और इनके खिलाफ ऐसा एक्शन लेना चाहिए ताकि कोई दोबार इस दुकान को खोलने की हिम्मत ना जुटा पाये ज़रा उनके दिल से पूछिए जिनपर ये वारदात गुज़रती है काटो तो खून नही निकलता उनका।

ऐलन हॉउस पब्लिक स्कूल के स्टाफ के साथ इन आरोपियों को सख्त से सख्त सजा देनी चाहिए जिसने मासूम से उसकी मासूमियत छिनने का प्रयास किया और उन अभिभावकों को हौसला देने की ज़रूरत है जो अपने मासूमो को स्कूल शिक्षा पाने के लिए भेजते हैं ये तभी संभव होगा जब सरकार इसके प्रति संवेदनशील होगी जो निहायत ही ज़रूरी है।

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