लखनऊ, दीपक ठाकुर। चुनाव कोई भी जीत मायने रखती है और वो जीत कैसे भी आये ये कोई मायने नही रखता बीती रात ऐसा ही कुछ हुआ गुजरात मे राज्यसभा की तीन सीटों पर हुए चुनाव में।मंगलवार सुबह से गुजरात राज्यसभा में बड़े बड़े नेताओं की गहमा गहमी शुरू हो गई एक तरफ भारतीय जनता पार्टी अपने तीनो उम्मीदवार को राज्यसभा भेजने को लेकर आश्वस्त थी तो वहीं कांग्रेस के नेता अहमद पटेल को अपनी पर्टी की हो रही दुर्गती का ये आखरी रास्ता था।यही वजह थी कि कांग्रेस अपने 44 विधयकों को कई दिनों तक घुमाती फिराती रही।
वोटिंग शुरू हुई सब ठीक था खत्म हुई फिर भी सब ठीक था पर जब गिनती की बारी आई तो अचानक जो ठीक लग रहा था वहीं गड़बड़ी के संकेत कांग्रेस को नज़र आने लगे साथ ही हार का खतरा भी मंडराने लगा फिर क्या था आनन फानन में पहुंचे चुनाव आयोग और दर्ज करा दी आपत्ति।आपत्ति इस बात की के उन्ही के विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की जिसको वही सार्वजनिक रूप से दिखा भी दिया जो नियम के विरुद्ध है इसी मांग के चलते गुजरात से दिल्ली तक कि राजनीति में गर्मी आ गई कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस चुनाव आयोग दौड़ते नज़र आये और सारा दारोमदार आया चुनाव आयोग पर।
यहां चुनाव आयोग भी इस चुनाव के महत्व को गंभीरता से लेता हुआ दिखा और कांग्रेस की शिकायत को तवज्जो देते हुए वोटिंग के दौरान की फुटेज मंगवा कर देखी।
रात लगभग ग्यारह बजकर तीस मिनट पर खबर आई कि कांग्रेस की शिकायत जायज़ है इसलिए काउंटिंग में दो मत रद्द किए जाएंगे और बाकियों की गिनती शुरू की जाएगी।इस फैसले पर भाजपा ने थोड़ी आपत्ति दिखाई और काउंटिंग को रोके रखा पर चुनाव आयोग के आदेश के आगे भाजपा नतमस्तक हुई और अंत मे तीन में से दो सीट पर ही जीत दर्ज कर पाई जिसका भाजपा को अफसोस है जीत की खुशी से कही ज़्यादा।
हालांकि गुजरात मे राज्यसभा चुनाव के परिणाम तो आ गए पर अभी भी दोनों पार्टियों को ये तय करना है कि घर का भेदी कौन कौन है जो उनका बेड़ा गर्ग करने में लगा था क्योंकि क्रॉस वोटिंग सिर्फ कांग्रेस से ही नही भाजपा से भी हुई है अहमद पटेल की जीत तो यही बता रही है।