एक साल से गर्दिश में हैं सितारे, बंद चल रहे हैं जेल में
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सपा की सरकार थी तब भी और भाजपा की सरकार है तब भी. एक साल से सितारे गर्दिश में चल रहे हैं. जेल की रोटियां ही फिलहाल किस्मत में हैं. भाई फरारी काट रहा है. बाहुबली पूर्व सांसद अतीक अहमद का एक पक्ष यह है तो दूसरा पक्ष यह है कि उनके जलवा-जलाल में आज भी कोई कमी नहीं हुई है. बुधवार को आए फूलपुर लोकसभा उपचुनाव के परिणाम ने इसे साबित भी कर दिया है.
देवरिया जेल से लड़ा था चुनाव
अतीक पर वर्तमान समय में आधा दर्जन से अधिक केस चल रहे हैं. करीब एक साल से वह जेल में हैं. फिलहाल उन्हें देवरिया जेल में रखा गया है. उन्होंने अपना नामांकन जेल से ही किया था और प्रचार की कमान संभाली थी लॉ के छात्र बड़े बेटे मो. उमर और पत्नी शाइस्ता परवीन ने संभाल रखी थी. अतीक ने प्रचार के लिए जेल से बाहर आने का प्रयास किया लेकिन इजाजत नहीं मिली. शुरुआत में माना गया था कि सपा प्रत्याशी की दावेदारी कमजोर करने के लिए उन्हें उतारा गया था. मुसलमानो में उनकी अच्छी पैठ होने से सपा को नुकसान होगा और इसका फायदा भाजपा को मिल जाएगा.
कोर्ट में ही दिख गया था ट्रेलर
उपचुनाव के लिए प्रचार थमने वाले दिन ही अतीक की इलाहाबाद कोर्ट में पेशी थी. इसी दिन उनकी जनसभा भी कचहरी के पास ही रखी गयी थी. इसे सम्बोधित करने का तो अतीक को मौका नहीं मिला लेकिन कचहरी के भीतर उमड़ी भीड़ और सेल्फी के साथ फोटो खिंचवाने को लेकर धक्का-मुक्की से इशारा मिल गया था कि अतीक इस चुनाव में कमजोर खिलाड़ी नहीं हैं. खेल जीत नहीं सकते तो खेल बिगाड़ जरूर सकते हैं. अलग बात है कि सपा को नुकसान पहुंचाने की रणनीति कामयाब नहीं हुई लेकिन प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के गढ़ में कांग्रेस चौथे नंबर पर चली गयी, यह कामयाबी उनकी जरूर रही. निर्दल के तौर पर 48092 वोट पाकर अतीक राजनीतिक दलों को यह संदेश देने में कामयाब हो गये हैं कि उन्हें कम न आंका जाय. कॅरियर खतम आंकने वालों को भी इस परिणाम ने बड़ा संदेश दे दिया है.