इरफ़ान शाहिद,न्यूज़ वन इंडिया। उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के आते ही हिंदुत्व की बात को प्राथमिकता मिलने लगी यहां तक कि भाजपा पर तो आरोप भी लगे के ये पार्टी हिन्दू धर्म को बढ़ावा देने का काम कर रही है मगर 400 साल पुराना कार्तिक मेले को अपने स्थान से हटवा कर एक बाज़ार तक सीमित कर देना ये कौन सा आस्था का सम्मान है ये कोई नही बता रहा है।
लखनऊ के डालीगंज में लगने वाले कार्तिक मेले से हर वो शख्स रूबरू होगा जो यहां का निवासी है और तो और बाहर से आये लोग भी डालीगंज पुल से दाईं तरफ लगी इस रौनक से भलीभांति परिचित होंगे मगर जो काम कोई नही कर पाया उसे भाजपा सरकार ने ही कर डाला 400 साल पुराने मेले को वहां से ही उखाड़ फेंका जिसको हटाने की मंशा ना मुगल शासकों ने दिखाई और नाही हम पर राज कर चुके अंग्रेज़ो ने तो खुद को तथाकथित हिन्दुओं की पार्टी बताने वाली सरकार ने एक झटके में डालीगंज से जाम और प्रदूषण के नाम पर आस्था की उस निशानी को क्यों उखाड़ फेका।
और अब जो जगह दी है उसे।मनकामेश्वर घाट के पास एक बाजार मे तब्दील कर दिया वो भी भारी भरकम नियम कानूनों के साथ।मेले मे बाहर से आये व्यापारी अपने को ठगा महसूस कर रहे है।न तो वहाँ ग्राहक है न वो मेले की शान है।जी एस टी और नोटबन्दी के बाद छोटे दुकानदारो के लिए ये फैसला भूखो मरने की स्थिति पैदा कर देगा।एक माह चलने वाले इस ऐतिहासिक मेलें की रौनक लखनऊ से गायब हो गई है।भाजपा सरकार का ये फैसला ना व्यापारियों को रास आ रहा है ना मेले में आये लोगो को। पर हो सकता है कि ये विधा भी राजनीती का शिकार हो कर किसी के लिए फायदा साबित हो जो अभी तक हिंदुत्व के नाम से मशहूर हो गया था।