लखनऊ,फैसल खान। अधिवक्ता एक ऐसा वर्ग है जो स्वतंत्रता और निष्पक्षता से उनके साथ कंधे से कन्धा मिला कर खड़ा रहता है जिन्हें कहीं से न्याय की आस होती है। अधिवक्ताओं की कार्य शैली और उनकी एकता से कई बार बड़ी बड़ी न्यायायिक बाधाएं भी पार हुई हैं पर अब कुछ ऐसा होने जा रहा है जिससे उनकी आज़ादी पर ही खतरे के बादल मंडराने लगे हैं क्योंकि विधि आयोग द्वारा प्रस्तावित अधिवक्ता अधिनियम विधेयक 2017 में कुछ संशोधन किये गए है जो वकीलों को रास नहीं आ रहे हैं यही कारण है कि इसका विरोध करने के उद्देश्य से वकीलों ने कल यानी 31 मार्च को देश भर में हड़ताल की घोषणा कर दी है।
आपको बता दें कि इसी मामले पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने ये बताया है कि 31 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के वकील भी अप्रत्यक्ष रूप से उनके हड़ताल का समर्थन बाजू में सफ़ेद पट्टी बांध कर करेंगे बाकी सभी हाई कोर्ट और जिला न्यायालय में पूरी हड़ताल रहेगी।
उन्होंने ये भी बताया है कि इसी श्रृंखला में आगामी 8 अप्रैल को सभी राज्य बार काउंसिल के सदस्य,हाई कोर्ट व जिला अदालतों के संघों के पदाधिकारी बार काउंसिल ऑफ इंडिया के दिल्ली आफिस में बैठक कर आगे की रणनीति बनाएंगे।
उनका ये भी कहना था कि वो देश के प्रधानमंत्री,वित्त मंत्री व विधि मंत्री से मिलकर इस विधेयक को रद्द करने का आग्रह भी करेंगे।
इस विधयेक को लेकर उनकी नाराज़गी इस बात से थी कि ऐसा होने से वकीलों की संस्थाएं ऐसे लोगो के नियंत्रण में आ जायेगी जिनका वकालत से कोई संबंध ही नहीं है।
अब आप ये भी जान लीजिए कि विरोध की वजह क्या है।
इसके आ जाने से वकीलों पर नकेल कसने की छूट रहेगी जैसे कोई वकील काम में लापरवाही या अनुशासन तोड़ता पाया गया तो उस पर कार्यवाही की जायेगी।
उपभोक्ता आयोग जो जुर्माना तय करेगा वो वकीलों को अपने मुआकिल को देना ही पड़ेगा।
जज या कोई भी न्यायिक अधिकारी अनुशासनहीनता या लापरवाही पाये जाने पर वकील का लाइसेंस तक रद्द कर देगा।
और अगर वकील हड़ताल पर गए तो भी उनपर कार्यवाई या जुर्माना हो सकता है।
ये कुछ ख़ास वजह हैं जिसको लेकर अधिवक्ताओं में रोष है पर ऐसा हुआ तो मुअक्किल को ज़रूर कुछ राहत ज़रूर मिलेगी पर अधिवक्ताओं की आज़ादी का भी कहीं ना कहीं हनन नज़र आ रहा है। अब आगे देखना है कि न्याय दिलाने वालों को क्या मिलता है। वैसे उम्मीद यही की जानी चाहिए कि न्याय दिलाने वालों के साथ इस तरह का सुलूक नहीं किया जाना ही न्याय और न्याय पालिका के लिए बेहतर होगा