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Sunday, December 8, 2024

​40 साल बाद कांग्रेस ने ब्राह्मण पर लगाया दांव, BJP ने सहानुभूति लहर पर जाट कार्ड खेला

अजमेर. करीब 40 साल बाद कांग्रेस ने अजमेर संसदीय सीट पर किसी ब्राह्मण पर दांव लगाया है। वहीं भाजपा ने के निधन से सहानुभूति लहर के भरोसे जाट कार्ड खेला है। किसका दांव सही पड़ेगा यह परिणाम बताएगा। अजमेर लोक सभा संसदीय सीट का इतिहास देखा जाए तो किसी जाति वर्ग का सांसद सबसे ज्यादा बार चुना गया तो वह ब्राह्मण वर्ग है।

– 1945 से लेकर 1977 तक तीन बड़े राजनीतिज्ञ और स्वतंत्रता सैनानी अजमेर लोक सभा सीट से चुने गए। यह सभी ब्राह्मण वर्ग से थे।
– इसमें मुकुट बिहारी लाल भार्गव, ज्वाला प्रसाद शर्मा और बीएन भार्गव के नाम शामिल हैं। यह तीनों ही कांग्रेस से थे।
– 40 साल के लंबे अंतराल मे बाद अब एक बार फिर कांग्रेस ने ब्राह्मण पर भरोसा जताया है। अजमेर में बड़ा वोट बैंक होते हुए भी ब्राह्मण समाज राजनीतिक रूप से उपेक्षित महसूस करता रहा है।
– गाहे बगाहे सामाजिक मंचों से समाज की यह व्यथा कई बार सामने आई भी है। मौजूदा हालात में कांग्रेस को भरोसा है कि ब्राह्मण सहित अन्य सामान्य वर्ग से जुड़े वोटर इस बार अहम साबित होंगे।
जीवन परिचय
– राजस्थान विश्वविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष रहे। भिनाय से दो और जयपुर लोक सभा सीट से एक बार चुनाव लड़ चुके हैं। 2009 में केकड़ी विधानसभा से सीट लड़ा और त्रिकोणीय मुकाबले में जीते।
– पूर्व मुख्यमंत्री सहित सीपी जोशी व तीनों से ही उनका बेहतरीन तालमेल। प्रदेश कांग्रेस में अभी उपाध्यक्ष हैं, युवा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं।
– अजमेर संसदीय क्षेत्र से उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी घोषित किए गए रघु शर्मा मूलत: अजमेर जिले के सावर गांव के निवासी हैं।
– उन्होंने वर्ष 1982-83 में एलएलबी किया। वर्ष 1986-87 में राजस्थान यूनिवर्सिटी से एमबीए किया। राजस्थान यूनिवर्सिटी से ही उन्होंने डाक्टरेट की।
– डॉ. शर्मा केकड़ी के पूर्व विधायक (2008-2013) और विधानसभा में मुख्य सचेतक भी रहे हैं। वे पूर्व में जयपुर लोकसभा क्षेत्र से भी चुनाव लड़ चुके हैं।
– भाजपा को उम्मीद है कि उसके दिग्गज नेता सांवर लाल जाट के निधन से जाट मतदाताओं में उनके प्रति गहरी सहानुभूति है।
– इसका लाभ उसे चुनाव में मिल सकता है इसीलिए उनके बेटे रामस्वरूप पर दांव लगाकर जाट कार्ड खेल दिया है।
– पार्टी लांबा पर ही दांव लगाएगी यह तभी तय हो गया था जब उनका अंतिम संस्कार जबर्दस्त प्रचार प्रसार के साथ किया गया। लांबा पिता के निधन के एक माह बाद ही सक्रिय हो गए थे।
– अजमेर की नसीराबाद, किशनगढ़ और पुष्कर सीटों पर जाट निर्णायक भूमिका में हैं।
– माना जा रहा है कि जाटों के एक मुश्त वोटों को पार्टी नाराज करने का जोखिम नहीं उठाना चाहती थी। भाजपा ने लगातार दूसरी बार जाट पर कार्ड खेला है।

जीवन परिचय
– रामस्वरूप लांबा राजनीति में नए हैं। हालांकि परिवार में सांवर लाल जाट के कारण राजनीतिक माहौल रहा है, अपने पिता के साथ चुनावों के दौरान नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र के साथ पूरे संसदीय क्षेत्र में भी सक्रिय रहे हैं।
– रामस्वरूप आर्ट्स में स्नातक हैं, एमबीए हैं। परिवार में माता नर्बदा देवी, एक बड़ा भाई कैलाश तथा छोटी बहन डा. सुमन चौधरी हैं।
– भिनाय के पास गोपालपुरा में 19 जुलाई 1986 को जन्मे लांबा वर्तमान में जिला हॉकी संघ के अध्यक्ष भी हैं।
– इन्होंने हाल ही में राज्य स्तरीय हॉकी प्रतियोगिता का आयोजन भी कराया। पेशे कृषक लेकिन विभिन्न वर्गों के लिए सामाजिक काम भी करते रहे हैं।

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