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Monday, October 7, 2024

​7,000 वर्ग फीट जगह भूल रही है बीएमसी!

फोटो: तालाब के अंदर का हिस्सा
महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के मालाड में करीब 7,000 वर्ग फीट की खुली जगह बीएमसी की अनदेखी का शिकार हो रही है। इस महत्वपूर्ण जगह पर लोगों के लिए मनोरंजन स्थल तैयार किया जा सकता है।

दरअसल, मालाड के डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर तालाब के वर्तमान हिस्से की मरम्मत के लिए ठेके की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है, जबकि इससे सटे हिस्से को इसमें शामिल ही नहीं किया गया। साथ ही, इससे सटे मनोरंजन स्थल के आरक्षित प्लॉट भी अनदेखी के शिकार हैं।

क्या है मामला?

यह तालाब का इलाका लोगों के लिए मनोरंजन का स्थल बना हुआ है। ऐसे में, पास आई जगह को पूरी तरह से उपयोग किया जाना जरूरी माना जा रहा है। स्थानीय नगरसेवक विनोद मिश्र कहते हैं कि हम प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि पूरी जमीन को साथ लेकर एक नई योजना बनाई जाए। इसके आधार पर इसका सुशोभीकरण किया जा सके, लेकिन प्रशासन केवल वर्तमान हिस्से की मरम्मत करना चाहता है। इससे सटे गार्डन के प्लॉट को भी इसमें शामिल करना चाहिए, जिससे लोगों को एक अच्छा मनोरंजन स्थल मिल सकेगा।

बीएमसी के इस रवैये पर सवालिया निशान लग रहे हैं। बीएमसी के गार्डन विभाग की मानें, तो इसकी मरम्मत के काम का निवेदन पहले से आया है, जिसके आधार पर हम आगे बढ़ रहे हैं। यदि पूरे एरिया को साथ लेना है, तो वह काम अलग से किया जाएगा। इस बारे में एनबीटी ने गार्डन अधीक्षक जितेंद्र परदेशी से संपर्क साधने की कई बार कोशिश की, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई।

पूरा प्लान क्यों नहीं?

कलेक्टर की जमीन पर बने शांताराम तालाब का वर्तमान एरिया 69,290 वर्ग फीट है। इसके पिछले हिस्से में कुछ जमीन बेकार पड़ी है। काफी कोशिशों के बाद अगस्त में कलेक्टर ने 76,000 वर्ग फीट जगह का मालिकाना हक बीएमसी को दे दिया। ऐसे में, पूरी जगह को अधिग्रहित कर उस पर शानदार गार्डन बनाने के बजाय कुछ सालों पहले बनाए गए 69,290 वर्ग फीट की वर्तमान जगह पर मरम्मत के लिए बीएमसी एक करोड़ से अधिक खर्च करने जा रही है। इसके पीछे की जगह के दुरुपयोग का खतरा बना हुआ है।

गार्डन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि हमने मार्च में वर्तमान तालाब का माप लेकर टेंडर निकाले हैं। अब मालिकाना हक फिर मिल जाने के बाद से इसका मापन नहीं हुआ है। ऐसे में, कितना इलाका छूट रहा है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। स्थानीय लोगों की मानें, तो इससे सटे आरक्षित प्लॉट का भी विकास किया जाना चाहिए।

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