लखनऊ। चारा घोटाले के एक मामले में रांची की बिरसा मुंडा जेल में साढ़े तीन साल की सजा काट रहे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद की पैरवी करने वाले डीएम और एसडीएम की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। आरोप है कि जालौन के डीएम मन्नान अख्तर और जालौन के एसडीएम भैरपाल सिंह ने लालू प्रसाद यादव की पैरवी के लिए कथित रूप से जज को फोन किया था। इससे खफा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डीएम और एसडीएम के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए है।
साथ ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने मीडिया में ऐसी खबरें आने के बाद नाराजगी जताई है। योगी ने झांसी के कमिश्नर अमित गुप्ता को जांच के आदेश दे दिए हैं। कमिश्नर से दो दिन के भीतर रिपोर्ट देने को कहा गया है। वहीं, झांसी के कमिश्नर अमित गुप्ता ने कहा कि उन्हें अभी कोई लिखित आदेश नहीं मिला है, पर सूचना मिल गई है कि इस मामले की जांच करनी है। आदेश मिलने के बाद ही वह इस मामले में कोई कुछ कह सकेंगे।
दोनों अफसरों पर लगा ये आरोप
जालौन के डीएम मन्नान अख्तर और जालौन के एसडीएम भैरपाल सिंह पर आरोप है कि उन्होंने आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव की सजा कम करने के लिए सीबीआई की विशेष अदालत के जज शिवपाल सिंह को फोन किया था। दोनों अफसरों पर आरोप है कि उन्होंने जज से कहा कि लालू की सजा कम कर दी जाए। हालांकि, जज ने उनकी बात अनसुनी कर दी थी। दरअसल, जज शिवपाल सिंह जालौन के शेखपुर खुर्द गांव के ही रहने वाले हैं। कुछ समय पूर्व जज शिवपाल सिंह यहां के जिला प्रशासन से अपनी कब्जा हुई जमीन को वापस दिलाने के लिए कह रहे थे। तब यह बात भी चर्चा में आई थी कि जज से कह दिया गया कि आप झारखंड में जज हैं न, आप कानून पढक़र आएं।
डीएम ने आरोपों को नकारा
जालौन के जिलाधिकारी मन्नान अख्तर ने हालांकि जज को फोन करने के अपने ऊपर लगे आरोप को सिरे से नकार दिया। डीएम ने कहा कि वह असम के रहने वाले हैं, उनका न तो झारखंड न ही बिहार या वहां की राजनीति से कोई लेना-देना है। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि जिसने भी इस तरह की खबर दी है, वह पहले इसका सबूत पेश करे।