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Saturday, January 18, 2025

10 साल से सत्तासीन गठबंधन को उखाड़ने के लिए उतरेगी कांग्रेस

अमृतसर : नगर निगम के रविवार को होने जा रहे चुनाव में पिछले 10 सालों से निगम की सत्ता पर काबिज भाजपा-शिअद गठबंधन को उखाड़ने के लिए कांग्रेस मैदान में उतरेगी। अमृतसर की 85 सीटों पर मुकाबला कांग्रेस और भाजपा-शिअद गठबंधन में बना हुआ है। आम आदमी पार्टी 62 सीटों पर चुनाव तो लड़ रही है, परंतु एक आध सीट को छोड़कर वह त्रिकोणीय मुकाबला बनाने में असफल रही है। जिन सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला है, वह भी सत्ताधारी कांग्रेस, भाजपा-शिअद गठबंधन और आजाद प्रत्याशियों के बीच बना हुआ है। सभी दल अपनी ताकत और कमजोरी के साथ मैदान में है।

2007 से निगम की सत्ता पर भाजपा-शिअद का कब्जा रहा है। 2012 के निगम सदन में तो गठबंधन का एकछत राज रहा। 65 वार्डो में कांग्रेस के मात्र 4 पार्षद ही जीत कर सदन में पहुंचे थे और विपक्ष के नाम पर यही चार पार्षद ही आवाज बुलंद करते रहे। 12 आजाद पार्षद चुनाव जीते थे, जिनमें से भी बाद में ज्यादातर अकाली दल के साथ चले गए थे। वार्डबंदी के बाद अब निगम के 85 वार्ड बन गए हैं।

85 वार्डों के हो रहे चुनाव में 413 उम्मीदवार मैदान में है। राजनीतिक दलों को छोड़कर चुनाव में 156 आजाद प्रत्याशी है। ज्यादातर आजाद प्रत्याशी सत्ताधारी कांग्रेस से संबंधित है। पंजाब में कांग्रेस की सरकार होने का लाभ जहां कांग्रेस का चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों को मिल रहा है, वहीं उन्हें नुकसान भी यही झेलना पड़ रहा है कि पिछले नौ माह में सरकार न तो कोई चुनावी वादा पूरा कर पाई है और न ही विकास के नाम पर ही कुछ कर पाई है। इससे बड़ा नुकसान सीटों की बांट के बाद मुखर हुए विरोध के स्वर है, जिन्हें समय पर निपटाने में भी कांग्रेस विफल रही है। आजाद रूप से चुनाव लड़ रहे टकसाली कांग्रेसी अपनों पर ही भारी पड़ रहे है। भाजपा-शिअद गठबंधन 85 वार्डो में चुनाव लड़ रहा है। 50 वार्डों में भाजपा, जबकि 36 वार्डों में अकाली दल चुनाव मैदान में है। समझौते के बावजूद वार्ड नंबर 70 शिअद और भाजपा आमने-सामने लड़ रही है। टिकटों के बांट से लेकर टिकट न मिलने वालों को संतुष्ट करने में गठबंधन सफल रहा है और यही चुनाव में उसकी ताकत बना हुआ है। लेकिन सत्ता से बाहर होने की वजह से उन्हें नुकसान झेलना पड़ सकता है। भाजपा-शिअद गठबंधन चुनाव शुरू होने के पहले दिन से ही कांग्रेस पर धक्केशाही के आरोप लगा रहा है।

आम आदमी पार्टी 62 सीटों पर जहां खुद चुनाव लड़ रही है, वहीं सीपीआइ को 8, सीपीएम को 3 को वह 11 और यह पार्टियों उन्हें 62 सीटों पर समर्थन दे रही है। चुनाव मैदान में इनके द्वारा उतारे गए चेहरे लगभग सारे ही नए है, जो अभी तक चुनावी टक्कर नहीं बना सके है। यही वजह है कि विधानसभा में त्रिकोणीय मुकाबला बनाने में सफल रही आप, निगम चुनाव में ऐसा नहीं कर पाई है। सियासतदानों की ज्यादा निगाह 156 आजाद खड़े प्रत्याशियों पर टिकी हुई है कि इनमें से कितने जीत कर निगम सदन में पहुंचते है।

तीनों मेयर की इज्जत दांव पर

चुनाव में 2012 के सदन में मेयर रहे बख्शीराम अरोड़ा, सीनियर डिप्टी मेयर अवतार ¨सह ट्रकांवाला, डिप्टी मेयर अविनाश जौली इस बार भी मैदान में है ओर इनकी इज्जत दाव पर लगी हुई है। अरोड़ा वार्ड नंबर 10 से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। ट्रकावाला को कांग्रेस टिकट दिलवाने में निकायमंत्री नवजोत ¨सह सिद्धू असफल रहे, अब वह वार्ड नंबर 46 से चौथी बार चुनाव मैदान में हैं। ऐसा ही आलम शिअद के डिप्टी मेयर रहे जौली का है। उनकी वार्ड नंबर 54 टिकटों की बांट में भाजपा के कोटे में चली गई। अब वह भी वहां से आजाद रूप से चुनाव मैदान में है।

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