दीपक ठाकुर: NOI.
केंद्र की भाजपा सरकार असल मायने में जिसके बल पर आई थी वो था उसका हिंदुत्व का मुद्दा और वो इसी को ढाल बना कर सत्ता के सिंहासन पर आसीन भी हो गई।लेकिन सत्ता हाथ मे आने के बाद भाजपा ने स्वर्ण समाज को दर किनार कर अन्य समाज की ओर उदारता दिखाने का काम शुरू कर दिया जो शायद उसके राजनैतिक द्रष्टिकोण से सही भी था भाजपा ये मान बैठी थी कि उसको हिन्दुओ का एक तरफा वोट हमेशा मिलता रहेगा मगर एससी/एसटी एक्ट को लेकर उसने जो रुख अपनाया वो स्वर्ण समाज को रास नही आया,स्वर्ण समाज को तब ये लगने लगा कि भाजपा सरकार उसके साथ छलावा कर रही है फिर उसी सवर्ण समाज ने भाजपा की आलोचना शुरू कर दी ना सिर्फ आलोचना ब्लकि उससे सत्ता से बेदखल करने का अल्टीमेटम भी दे डाला जिसका ट्रेलर पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव ने दिखाई भी दिया।
अब ऐसे में भाजपा के लिए 2019 की राह आसान होती नही दिखाई दे रही थी क्योंकि एक तरफ राम मंदिर के मुद्दे पर पीएम की उदासीनता पहले ही सन्त समाज को उससे दूर करने का काम कर ही रही थी वही दूसरी तरफ सवर्ण समाज भी उससे विमुख हो गया था जिसके बाद पीएम मोदी ने एक ऐसा दांव खेला जिससे विपक्ष भी सकते में आ गया वो दांव था सवर्णो को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का।लोक सभा के शीत कालीन सत्र के समापन से ठीक पहले केंद्र सरकार ने जो ये घोषणा कर दी उससे सवर्णो को लगा कि देर से ही सही पर भाजपा ने ये जो काम करने की सोची है ये उनके समाज के लिए बड़ी सफलता है वही विपक्ष की मजबूरी ये है कि वो अगर इसका विरोध करेंगे तो जग जाहिर हो जाएंगे इसलिए सभी ने यही कहा कि वो इसका समर्थन करेंगे लेकिन सरकार की मंशा पर सभी ने सवाल खड़े किए जो वाजिब भी हैं।
पर यहां एक बात जो अच्छी लगी वो ये के आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का विचार अब लोकसभा तक पहुंच गया है इसके लिए भले संविधान को संशोधित किया जाए लेकिन आरक्षण का ये पैमाना हर लिहाज से सही और सार्थक है क्योंकि इससे आरक्षण का लाभ उन्ही को मिलेगा जिसको वाकई इसकी जरूरत होगी नही तो जातिगत आधार पर दिए जा रहे आरक्षण का लाभ तो वो भी ले रहे हैं जो बड़े बड़े बंगले में रहते हैं और चार पहिया वाहन से घूमते हैं तो मेरा मानना ये है कि तमाम आरक्षण को समेट कर सिर्फ और सिर्फ आर्थिक आधर पर आरक्षण देने का ही काम सरकार को करना चाहिए जिससे कोई समाज रुष्ट भी नही होगा और इसका बेजा इस्तेमाल भी नही किया जा सकेगा।