
प्रियांशू
ठीक एक साल पहले, आज ही के दिन एनडीटीवी के चर्चित न्यूज एंकर रवीश कुमार को रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड के लिए चुना गया था। यह अवॉर्ड पाने वाले वह हिंदी के पहले पत्रकार हैं।
एशिया का नोबेल कहे जाने वाले रेमन मैग्सेसे के लिए रवीश को चुने जाने का मतलब था, सुदूर घुप्प अंधेरे में राह दिखा रहे तारे की कहानी में अंतरराष्ट्रीय दिलचस्पी।
इसका मतलब था भारत में चल क्या रहा है, उस पर रखी जा रही बारीक नजर।
रूस के सबसे बड़े लेखक लियो टॉल्सटॉय के बारे में एक पत्रकार ने कभी अपनी डायरी में दर्ज किया था कि इस वक्त देश में दो राजा हैं। एक जार (वहां का राजा) और दूसरे लियो निकोलायेविच टॉल्सटॉय।
‘कोई टॉल्सटॉय को भला हाथ लगाकर तो देखे, लोग बगावत कर देंगे।’
वह पत्रकार आज होता तो यही बात रवीश के लिए लिखता।
प्रियांशू भारतीय जनसंचार संस्थान के पूर्व छात्र हैं। दिल्ली में पत्रकारिकता करते हैं।