
दीपक ठाकुर
महाराष्ट्र की अगाड़ी सरकार अपनी कायरता के लिए मशहूर होती जा रही है।अगाड़ी सरकार ने सत्ता संभालने के बाद से एक टीवी चैनल को टारगेट बनाना शुरू कर दिया कारण था उस चैनल द्वारा सरकार की नाकामी को प्रमुखता से दिखाना और यही बात उद्धव सरकार को रास नही आई और पीछे पड़ गई रिपब्लिक चैनल के और तो और वहां के पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने तो हद ही कर दी उन्होंने चैनल के 1000 कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज करा दी।
परमबीर सिंह उद्धव सरकर को बचाने के लिए अपनी वर्दी कुर्बान करने को राजी दिखाई दे रहे हैं पाल घर मे हुई दो साधुओं की सरेआम हत्या और सुशान्त सिंह राजपूत की रहस्यमय हत्या पर जिस तरह रिपब्लिक भारत ने कवरेज की वो लोगो को भले काबिले तारीफ लगे लेकिन उद्धव सरकार और परमबीर को रास नही आई आती भी कैसे दोनो खबरों ने सरकार और पुलिस प्रशासन की किरकिरी कर दी और रिपब्लिक भारत की टीआरपी बढ़ा दी इसी टीआपी को मुद्दा बनाकर परमबीर ने पीसी कर के रिपब्लिक की थू थू करने का पूरा प्रयास किया लेकिन अर्णब और उनकी टीम ने उसका भी पर्दा फाश कर दिया और जब वो रिपब्लिक भारत को बदनाम नही कर पाए तो पूरी टीम पर आपराधिक मामला दर्ज करा दिया वाह क्या यही लोकतंत्र की असली परिभाषा है जहां जनता को न्याय दिलाने वाले पर ही पाबन्दी लगाने की कोशिश होगी।

इतना सब होने के बावजूद भारत सरकार इस पर कोई तल्ख टिपडी क्यों नही कर रहा ये चिंता की बात है चिंता इस बात की के कहीं भाजपा शिवसेना की पुरानी यारी तो इसके बीच नही आ रही क्या शिवसेना को झुकाने के लिए भाजपा सब चुपचाप देख रही है क्या भाजपा अभी इस बात के इंतज़ार में है कि कब उद्धव सरेंडर कर के भाजपा के समर्थन में आ कर उसकी सरकार बनाएं और उसी का मोहरा बना है रिपब्लिक भारत जिसे नेताओ को समझने में धोखा हो गया सच की आवाज़ जनता को भले पसन्द हो पर नेताओ को चुभती है क्योंकि महारष्ट्र में जो हो रहा है वो सारी तस्वीर यही बयां करती है।
