नई दिल्ली. दिल्ली में 13 सितंबर से ऑड ईवन स्कीम लागू हो जाएगी। खास बात यह है कि इस बार महिलाओं, टू व्हीलर या सरकारी कर्मचारियों को इसमें कोई छूट नहीं मिलेगी। केवल इमरजेंसी व्हीकल्स और सीएनजी गाड़ियों को छूट दी गई है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी ने शनिवार को इस मामले पर सुनवाई करने के बाद यह आदेश दिया।
इस बार ऑड ईवन स्कीम 13 नवंबर से शुरू होकर 17 तक चलेगी। एनजीटी ने निर्देश दिया है कि है कि जब भी हवा में पीएम 10 का लेवल 300 व पीएम 2.5 का लेवल 500 को पार कर जाए तो दिल्ली एनसीआर में अनिवार्य रूप से ऑड ईवन योजना को लागू कर दिया जाए।
बुरे वक्त का इंतजार न करें
एनजीटी ने सभी पड़ोसी राज्यों और विभागों से कहा कि पर्यावरणीय आपातकाल के दौरान हर वो कदम उठाए जो जरूरी है। बुरे वक्त का इंतजार न किया जाएग। इसके अलावा ट्रिब्यूनल ने पर्यावरण को सुधारने की दिशा उठाए जा रहे कदमों को सपोर्ट करने के लिए दिल्ली पुलिस सहित सभी विभागों से सहयोग करने को कहा है।इसके साथ ही ट्रिब्यूनल ने एनएचएआई व एनबीसीसी को नोटिस जारी कर पूछा है कि निर्माण कार्य पर रोक लगाने के उनके आदेश का उल्लंघन करने पर क्यों न जुर्माना लगाया जाए।
इससे पहले NGT ने फटकार लगाते हुए कहा था, आपने (दिल्ली सरकार) ने सालभर के भीतर कुछ भी नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कभी भी इस स्कीम को लागू करने को नहीं कहा था। SC और NGT ने 100 से ज्यादा सुझाव दिए थे, ताकि पॉल्यूशन को रोका जा सके, लेकिन आपने हमेशा ऑड-ईवन का ऑप्शन ही चुना। बता दें कि गुरुवार को अरविंद केजरीवाल ने 13 से 17 नवंबर तक ऑड-ईवन स्कीम लागू करने के ऑर्डर दिए थे।
सरकार लोगों को सही एन्वायरन्मेंट मुहैया करवाए
एनजीटी ने ये भी कहा कि “कॉन्स्टीट्यूशन का आर्टिकल 21 और 48 के तहत सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह लोगों को साफ और सही एन्वायरन्मेंट मुहैया कराए।”
“सीपीसीबी (सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड) की रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली-एनसीआर में हवा खतरनाक हो गई है। पीएम 10 का लेवल 100 तक होना चाहिए, जो कल (बुधवार) को 986 हो गया। वहीं, पीएम 2.5 का लेवल 60 होना चाहिए, हो गया 420। ये हालत पिछले हफ्ते से बने हुए हैं।”
हेलिकॉप्टर से बारिश क्यों नहीं कराते
गुरुवार को दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते पॉल्यूशन को लेकर एनजीटी ने दिल्ली सरकार, म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशंस और पड़ोसी राज्यों को फटकार लगाई। कहा- यह स्मॉग जीने का हक छीन रहा है। हेलिकॉप्टर से क्लाउड सीडिंग करके आर्टिफीशियल बारिश क्यों नहीं करवाते? अगर ऐसे ही हालात बने रहे तो लोग हॉस्पिटल में नजर आएंगे। ट्रिब्यूनल ने अपने अगले आदेश तक यहां सभी तरह की इंडस्ट्रियल एक्टिविटीज पर रोक लगा दी।
“पॉल्यूशन मामले में सारी कॉन्स्टिट्यूशनल अथॉरिटीज और उनसे जुड़ी बॉडीज बुरी तरह फेल रहीं। यह जिम्मेदारी सभी की बनती है।”
एनजीटी ने दिल्ली से सटे दूसरे राज्यों जैसे- पंजाब, हरियाणा को भी फटकार लगाई। पूछा कि ऐसे बदतर हालात में वो कितने संजीदा हैं।”
दिल्ली में किस कारण कितना प्रदूषण
पीएम 2.5
गाड़ियों के धुएं से बढ़ता है पीएम 2.5 : 25%
आईआईटी कानपुर की जनवरी 2016 की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में वाहनों से 25% तक पॉल्यूशन होता है। ये प्रदूषित कण वातावरण में फैल कर पीएम 2.5 जैसे जानलेवा प्रदूषित कणों को बढ़ा रहे है।
कोयले व धुएं की राख से प्रदूषण : 5%
दिल्ली में रेस्टोरेंट, फैक्ट्री, इंडस्ट्रीयल एरिया में कोयला का इस्तेमाल भी किया जाता है। प्लास्टिक हो या कोई भी मटेरियल, इनसे जो राख बचती है, उससे उड़ने वाला धुआं पीएम 2.5 के स्तर को 5 प्रतिशत तक बढ़ा देता है।
इंडस्ट्रीज बढ़ाती हैं सेकंडरी पॉल्यूटेंट्स : 30%
एक्सपर्ट का कहना है कि नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसे अन्य पॉल्यूटेड पार्टिकल्स वातावरण में फैल रहे हैं। इन्हें इंडस्ट्रीज व फैक्ट्री से निकलने वाले धुएं बढ़ा रहे हैं जो 30% है।
कचरा जलने से फैलने वाला प्रदूषण : 8%
गाजीपुर, ओखला और भलस्वा लैंडफिल साइटों में अक्सर कूड़ा जल जाता है। दिल्ली के वातावरण में इसका योगदान पीएम 2.5 के स्तर को बढ़ाने में 8% प्रतिशत है।
पराली से होने वाला पॉल्यूशन : 26%
प्रदूषण का दूसरा बड़ा फैक्टर पराली है, जिससे पॉल्यूशन लेवल भयावह स्थिति में पहुंच जाता है। पीएम 2.5 को बढ़ाने में पराली का 26 प्रतिशत तक योगदान है।
रोड डस्ट व कंस्ट्रक्शन से होने वाला प्रदूषण : 6%
आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट के अनुसार, पीएम 2.5 का लेवल बढ़ाने में रोड डस्ट व कंस्ट्रक्शन से फैलने वाले प्रदूषण का कॉन्ट्रिब्यूशन 6 प्रतिशत तक है।
पीएम-10
रोड डस्ट और कंस्ट्रक्शन : 56%
आबोहवा में सबसे ज्यादा पीएम 10 रोड डस्ट और कंस्ट्रक्शन साइटों से बढ़ता है। इनसे 56% स्तर बढ़ जाता है।
इंडस्ट्री व फैक्ट्रियों का धुआं : 20%
प्रदूषण फैलाने में फैक्ट्रियों व इंडस्ट्रीज का काफी योगदान है। यह पीएम 10 का स्तर 20 प्रतिशत तक बढ़ा रहा है।