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Thursday, February 13, 2025

2019 प्लान’ का दांव हैं योगी, ध्रुवीकरण चाहती है बीजेपी? 





नई दिल्ली ।भारतीय जनता पार्टी (BJP) द्वारा उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला एकाएक नहीं लिया गया है। यह काफी सोची-समझी राजनैतिक रणनीति है। योगी की छवि हिंदू कट्टपंथ से जुड़ी है। माना यही जा रहा है कि हिंदुत्ववादी राष्ट्रवादिता के अजेंडे को ही ध्यान में रखकर योगी को CM बनाया गया है। केंद्र सरकार अपने कार्यकाल का आधा समय पूरा कर चुकी है। अब पार्टी 2019 के अगले लोकसभा चुनाव की तैयारी को भी ध्यान में रखकर चल रही है और इसी पर निगाह रखते हुए योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश के नेतृत्व की बागडोर सौंपी गई है। लग तो यही रहा है कि योगी को UP का मुख्यमंत्री बनाकर BJP ने मास्टर स्ट्रोक खेला है।

ध्रुवीकरण में ‘पारंगत’ माने जाते हैं योगी आदित्यनाथ
गोरखपुर से पांच बार सांसद चुने गए योगी की ध्रुवीकरण करने में ‘पारंगत’ माना जाता है। राजनैतिक विचारधारा के तौर पर देखें, तो वह कट्टर दक्षिणपंथी हैं। भारत के सबसे बड़े प्रदेश की सरकार को चलाने के लिए योगी को चुनकर मोदी और शाह ने साफ संकेत दिया है कि वे राजनीति को उसके परंपरागत और सामान्य रूप में नहीं आजमाने जा रहे हैं। साथ ही, BJP की मंशा राजनैतिक तौर पर खुद को निष्पक्ष साबित करने की भी नहीं है। सर्जिकल स्ट्राइक और नोटबंदी के बाद अगर मोदी सरकार के इस फैसले पर गौर करें, तो माना जा सकता है कि यह इस केंद्र सरकार का तीसरा सबसे बड़ा दांव है। योगी राम जन्मभूमि से जुड़े सबसे बड़े नेताओं में से हैं। संकेतों को देखें, तो मानना होगा कि योगी को मुख्यमंत्री बनाना BJP की उसी कोशिश का हिस्सा है जिसके तहत वह हिंदुत्व के इर्द-गिर्द बुनी गई लोकप्रिय राष्ट्रवादी विचारधारा को केंद्र में रखकर आगे बढ़ना चाह रही है।

2019 के लोकसभा चुनाव में हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण करना चाहती है BJP?
विशेषज्ञों का मानना है कि योगी को UP की कमान सौंपकर BJP अगले लोकसभा चुनाव के पहले हिंदु मतों के ध्रुवीकरण की फिराक में है। हिंदुत्ववादी विचारधारा BJP की सफल चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा रही है। यहां तक कि आज की तारीख में BJP के सबसे लोकप्रिय चेहरे नरेंद्र मोदी पर भी UP चुनाव के दौरान वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश करने का गंभीर आरोप लगा। ‘श्मशान बनाम क्रबिस्तान’ का उनका बयान हो, या फिर ‘ईद में बिजली मिलती है, तो दिवाली पर भी बिजली आनी चाहिए’ जैसा बयान, PM लोगों के दिमाग में यह बैठाने की कोशिश करते दिखे कि समाजवादी पार्टी की प्रदेश सरकार धार्मिक और जातीय आधार पर जनता के बीच भेदभाव करती है।

UP चुनाव के दौरान शाह और मोदी ने भी की ध्रुवीकरण की कोशिश?
ध्रुवीकरण की कोशिश करने का आरोप तो पार्टी अध्यक्ष अमित शाह पर भी लगा। शाह ने अपने चुनावी भाषणों के दौरान कई बाद वादा किया कि अगर प्रदेश में उनकी सरकार बनती है, तो अवैध बूचड़खानों को बंद करा दिया जाएगा। साथ ही, ऐंटी-रोमियो स्क्वॉड बनाने का उनका वादा भी इसी कोशिश का हिस्सा था। लोगों ने ऐंटी-रोमियो स्क्वॉड में छुपे ‘लव जिहाद’ को बखूबी समझा और शायद यही शाह की रणनीति भी थी।

योगी बनेंगे CM और पीछे छूट जाएगा ‘सबका साथ-सबका विकास?’
BJP ने UP चुनाव के समय प्रदेश का पिछड़ापन, बेरोजगारी, कानू-व्यवस्था की बदहाली और किसानों की समस्या जैसे मुद्दों पर भी बात की, लेकिन उनका सबसे बड़ा अजेंडा तो बिना शक यही सांप्रदायिकता थी। योगी के चुनाव की घोषणा के साथ ही UP में विकास और इससे जुड़े तमाम मुद्दे पीछे छूट गए दिखते हैं। साफ है कि BJP के लिए इस समय हिंदुत्व सबसे बड़ा अजेंडा है। बतौर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चुन लिए जाने के बाद यह आशंका मजबूत होती जा रही है कि पार्टी ‘सबका साथ, सबका विकास’ जैसे वादों से पीछे हट सकती है।

एक खास छवि है योगी आदित्यनाथ की
पत्रकारों से बात करते हुए योगी ने माना कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद कुछ सवाल खड़े हो रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘उत्तर प्रदेश को विकास की नई ऊंचाइयों तक ले जाना हमारा कर्तव्य है। मैं मोदी जी के सबका साथ-सबका विकास अजेंडे में यकीन करता हूं।’ योगी ने यह भी कहा कि जश्न के नाम पर किसी तरह के हुड़दंग को वह बर्दाश्त नहीं करेंगे। योगी के चुनाव से BJP के कट्टर समर्थकों को सबसे ज्यादा अच्छा लगेगा। पार्टी के अंदर योगी के विरोधी अक्सर यह आरोप लगाते हैं कि उनकी पहुंच पूर्वी उत्तर प्रदेश के केवल 7-8 जिलों तक ही सीमित है, लेकिन इस बार चुनाव अभियान के समय योगी की पूरे प्रदेश में काफी मांग थी।

2019 के आम चुनावों के लिए आगे के ढाई साल बहुत अहम
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी नेतृत्व को अंदाजा है कि योगी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद उनकी आलोचना होगी। हालांकि पार्टी आलाकमान को यह भरोसा है कि योगी द्वारा प्रदेश की कानून-व्यवस्था में सुधार किए जाने के बाद कई आलोचक शांत भी हो जांगे। माना जा रहा है कि योगी नौकरशाही पर दबाव बनाएंगे, ताकि वह प्रशासन और काम-काज बेहतर करें। आखिरकार 2019 के लोकसभा चुनाव में अब ढाई साल का ही तो समय बचा है। 2014 की तरह एक बार फिर BJP यहां अपने शानदार प्रदर्शन को दोहराना चाहेगी। और ऐसा करने के लिए आगे के ढाई साल पार्टी के लिए बेहद अहम हैं।

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