लखनऊ. गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में बसपा और सपा के गठबंधन ने उम्मीदवारों के लिए एक नयी नींव तैयार की है। बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का बेजोड़ गठबंधन अब भाजपाइयों पर भारी पड़ रहा है। उनकी इसी नब्ज को पकड़ कर मायावती और अखिलेश यादव ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भी गठबंधन को जारी रखने का वादा किया है। ये शायद इसी का नतीजा है कि पांच साल पहले हुए इलेक्शन की तर्ज पर सपा-बसपा आने वाले चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा करेगी।
इस फॉर्मूले से सेट होंगी सीटें
दोनो दलों के बीच सीटों का बंटवारा सबसे जरूरी बात है। कैसे और किसे सीटें बांटनी हैं, ये इस आधार पर होगा कि भाजपा को हराया जा सके। सीट बंटवारे का आधार होगा 2014 के चुनाव परिणाम। उस दौरान जीती हुई सीट के अलावा, जो दल जिस सीट पर रहा, वहां उसकी दावेदारी होगी। ऐसी सीटों को चिह्नित भी कर लिया गया है।
कांग्रेस के प्रति नरम स्वभाव
भाजपा को हराने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे अखिलेश और मायावती का कांग्रेस को लेकर नरम स्वभाव देखने को मिल रहा है। दोनो पार्टियों के कांग्रेस से अच्छे संबंध होने का दावा है।
भाजपा के खिलाफ है महागठबंधन की कोशिश
भाजपा के खिलाफ महागठबंधन बनाने की कोशिशें हो सकती हैं। दोनो दलों के बीच प्रारंभिक तौर पर 30-30 सीटों पर बातचीत होना शुरू है।
रालोद की भूमिका नहीं है साफ
हालांकि, मायावती और अखिलेश में बेजोड़ गठबंधन की शुरूआत हो चुकी है लेकिन अभी ये साफ नहीं है कि इस गठबंधन में रालोद की क्या भूमिका होगी। जिस तरह राज्यसभा चुनाव में वोट निरस्त करने के बाद अजित सिंह ने अपने विधायक को दल से निष्कासित किया है, उससे महागठबंधन में रालोद के शामिल रहने की उम्मीद बढ़ी है। हालांकि, इसकी भूमिका अभी पूरी तरह से साफ नहीं है।