नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता चरम पर है और 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में किसी पार्टी या नेता से चुनौती भी नहीं मिलती दिखाई दे रही है। अब उत्तर प्रदेश (यूपी) के एक युवा नेता का दावा है कि वह पीएम मोदी से न केवल मुकाबले के लिए तैयार है, बल्कि वह कड़ी टक्कर भी देगा।
बता दें कि पिछले दिनों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से मिलकर बिहार में सरकार बनाने वाले मुख्यमंत्री नीतीश ने दावा किया है कि 2019 में पीएम मोदी को कोई नहीं हरा सकता है।
यह भी पढ़ेंः
अब नोएडा के युवा नेता विनोद पवार का कहना है कि वह पीएम पद के तगड़े दावेदार होंगे और मोदी को कड़ी टक्कर देंगे। 36 साल के विनोद पंवार की मानें तो उन्होंने पीएम मोदी के मुकाबले में अपने कुछ पोस्टर भी तैयार किए हैं।
विनोद ने 2019 लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी को टक्कर देने के मद्देनजर ये पोस्टर नोएडा में जगह-जगह लगवाए भी हैं।
नोएडा सेक्टर-50 में कोचिंग सेंटर चलाने वाले विनोद का कहना है कि वर्तमान समय में देश बुरे दौर से गुजर रहा है। आर्थिक संकट भी जबरदस्त है। विनोद की राय में हमारे देश का चीन और पाकिस्तान से लगी सीमा पर तनाव है, वहीं देश के भीतर कई मुद्दे ऐसे हैं, जहां पर काम करने की जरूरत है।
खासकर आम आदमी की समस्या का निदान जरूरी है। उन्होंने बताया कि वह देश में आर्थिक विकास और समृद्धि लाने के लिए प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं।
जानें कौन हैं विनोद पवार
1. वह कोचिंग सेंटर से होने वाली कमाई से अपना गुजारा करते हैं।
2. जनवरी 2017 में पवार ने नोएडा विधानसभा से विधायक के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया था।
3. वह दूसरी बार राजनीति में अपना भाग्य आजमा रहे हैं।
4. नामांकन के दौरान पवार ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को अपना दोस्त बताया था।
5. नामांकन के दौरान अपने प्रस्तावकों के रूप में महात्मा गांधी समेत तमाम महान स्वतंत्रता सेनानियों का नाम दिया था।
6. गांधी के अलावा पवार ने अपने प्रस्तावकों के रूप में स्वामी विवेकानंद, मार्टिन लूथर किंग जूनियर, आंबेडकर, एपीजे अब्दुल कलाम, नेल्सन मंडेला, सुभाष चंद्र बोस, गौतम बुद्ध, अब्राहम लिंकन और अन्य का नाम दिया था।
7.नियम के मुताबिक किसी निर्दलीय उम्मीदवार को अपने शपथपत्र पर 10 प्रस्तावकों का हस्ताक्षर देना होता है। प्रस्तावक उसी विधानसभा के वोटर भी होने चाहिए।
फिर भी नहीं लड़ पाए चुनाव
इस सबके बावजूद चुनाव आयोग ने पर्याप्त जानकारी नहीं देने की वजह से उनका नामांकन खारिज कर दिया था और वह चुनाव नहीं लड़ पाए थे।