लखनऊ।ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कार्यकारिणी की बैठक में तलाक पर अपना कोड ऑफ कंडक्ट जारी किया, लेकिन तीन तलाक का विरोध नहीं किया। बोर्ड की इस नीति का शहर के समाजसेवकों और कुछ मौलानाओं ने विरोध किया है। उनका कहना है कि बोर्ड ने गलत तीन तलाक देने वाले का सोशल बायकॉट करने का कहा है, लेकिन इससे उस पीड़ित महिला को कोई इंसाफ नहीं मिलेगा। ऐसे में तीन तलाक का ही बॉयकॉट होना चाहिए। इस मुद्दे से जुड़े शहर के ऐसे लोगों से बातचीत के आधार पर एक रिपोर्ट।
गुनहगार होगा बोर्ड : शाइस्ता अम्बर
ऑल इंडिया विमिन पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अम्बर का कहना है कि तीन तलाक देना बोर्ड ने जायज ठहराया, इससे लड़की को तो इंसाफ मिला ही नहीं। ऐसे में तो बोर्ड गुनहगार होगा, जिसने इस तरह का फैसला लिया है। सोशल बॉयकॉट तो तीन तलाक का होना चाहिए, न कि तीन तलाक देने वाले का। अगर अपराध पर प्रतिबंध लगा दिया जाए तो कोई अपराधी बनेगा ही नहीं। बोर्ड के ये निर्णय एक रोते हुए बच्चे को झुनझुना पकड़ाने जैसा है, जो मन तो बहला सकता है, लेकिन राहत नहीं दे सकता।
स्पष्ट नहीं हैं फैसले : नाइश हसन
सामाजिक कार्यकर्ता नाइश हसन का कहना है कि बोर्ड के फैसले खुद में ही स्पष्ट नहीं है। बोर्ड ने कोड ऑफ कंडक्ट की बात कर रहा है, जबकि इसके लिए लॉ की जरूरत है। बोर्ड कहता है कि बिना शरई वजह के तीन तलाक देने पर सोशल बॉयकॉट होगा, लेकिन वह शरई वजह कौन सी है, ये स्पष्ट ही नहीं है। एक ओर बोर्ड कहता है कि मोबाइल से तलाक देना गलत है, वहीं वह मानता है कि इससे तलाक हो जाएगा। तीन तलाक पूरी तरह से बंद होना चाहिए।
सुझावों नहीं की बोर्ड से चर्चा : यासूब अब्बास
शिया धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि हमने बोर्ड को तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया था। साथ ही एक निकाहनामे का मॉडल दिया था, जिसमें तलाक का अधिकार लड़की को देने की बात थी, लेकिन अफसोस की बात है कि बोर्ड ने मेरे सुझावों की तारीफ तो की, मगर इस पर कोई चर्चा ही नहीं की गई। तीन तलाक पर तो सती प्रथा जैसा सख्त कानून होना चाहिए, तभी इस पर प्रतिबंध लगाया जा सकेगा।