वाराणसी। 1983-84 में बनारस शहर में जब सुलखान सिंह को बनारस का एडिशनल एसपी बनाया गया तो बच्चे बच्चे की जुबान पर उनका नाम था । काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में छात्र आन्दोलन चरम पर था वहीँ देश खालिस्तान आन्दोलन की आग में जल रहा था जिसकी चिंगारी हर तरफ महसूस की जा रही थी उन्ही सुलखान सिंह को उत्तर प्रदेश का नया डीजीपी बनाया गया है ।
पुलिस मैडल और राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित सुलखान सिंह 1980 बैच के आईपीएस है। वाराणसी के बाद ही सुलखान सिंह को लखनऊ में बतौर एसपी पहली पोस्टिंग मिली थी सुलखान सिंह 1997 के दौरान क्रमशः मिर्जापुर और इलाहबाद में डीआईजी भी रहे हैं हांलाकि उनका यह कार्यकाल बेहद छोटा रहा है। यूपी पुलिस के बेहद ईमानदार अधिकारियों में से एक सुलखान सिंह ने प्रदेश पुलिस में भ्रष्टाचार के कई गंभीर मामलों की जांच की है।
चर्चित आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर द्वारा आईपीएस व पीपीएस अफसरों के बार-बार होने वाले तबादलों में वरिष्ठ अफसरों की भूमिका की जांच को लेकर की गई शिकायत की जांच भी सुलखान सिंह ही कर रहे थे। सुलखान सिंह की तैनाती कुछ समय तक पुलिस हेडक्वार्टर इलाहाबाद में भी बतौर एडीजी रही है सिविल इंजीनियरिंग में बीई करने के बाद कानून की पढ़ाई करने वाले सुलखान सिंह आईपीएस अधिकारियों में बेहद लोकप्रिय रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के नए डीजीपी के कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके पास अचल संपत्तियों के नाम पर केवल तीन कमरे का एक घर और थोड़ी सी खेती की जमीन है । लखनऊ स्थित अलकनंदा एपार्टमेंट में अपना घर उन्होंने लखनऊ डेवलपमेंट अथारिटी से किस्तों में लिया था लखनऊ स्थित अलकनंदा एपार्टमेंट मेंमूल रूप से बांदा जिले के रहने वाले सुलखान सिंह के पास 2.3 एकड़ जमीन है जो उन्होंने बांदा के जोहरपुर गाँव में 40 हजार रुपयों में खरीदी थी आज जमीन की कीमत केवल 3 लाख रूपए है ।