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Tuesday, December 10, 2024

479 हिंदू – मरना पसंद पर पाकिस्तान जाना नहीं है पसंद

10_04_2013-hindu10 pakistan

नई दिल्ली- पाकिस्तान में हो रहे अत्याचार से तंग आकर पिछले कई दिनों से दिल्ली में रह रहे 479 हिंदू शरणार्थी वापस अपने देश लौटने के लिए तैयार नहीं है। उनका कहना है कि मर जाएंगे पर पाकिस्तान नहीं जाएंगे। वहां जिल्लत सहने के बजाय यहीं जान देने के लिए तैयार हैं। वहां हम नहीं, हमारी लाशें जाएंगीं। सोमवार को इनकी वीजा अवधि खत्म हो गई है। धमकी देने के बाद गृह मंत्रालय की तरफ से इनकी वीजा अवधि एक महीने बढ़ाने की सहमति प्रदान कर दी गई है, लेकिन इस बाबत आवश्यक प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाने के कारण दिल्ली के बिजवासन इलाके में ठहरे इन शरणार्थी परिवारों में असमंजस की स्थिति है।

गौरतलब है कि पाकिस्तान से करीब 80 हिंदू परिवार पिछले महीने दिल्ली आए थे। द्वारका से सटे बिजवासन गांव में डेरा डाले इन परिवारों के करीब 479 सदस्यों के सामने अब रोजी-रोटी का इंतजाम नहीं बल्कि वीजा से जुड़ी समस्या खड़ी हो गई है। शरणार्थी जमना ने बताया कि उन्हें अभी आधिकारिक रूप से वीजा अवधि बढ़ने की सूचना नहीं दी गई है। इस वजह से सभी लोग संशय में हैं।

वहीं, शरणार्थी दल में शामिल बुजुर्ग रण सिंह किसी भी कीमत पर पाकिस्तान लौटने को तैयार नहीं है। उनका कहना है कि वहां पर घुट-घुटकर जीना हमें कबूल नहीं है। अब तो जिंदगी और मौत सब हिंदुस्तान में ही है। अब यह सरकार को फैसला करना है कि वह हमें किस हालत में रखना चाहती है।

पाकिस्तान में हिंदुओं पर किस कदर कहर बरपाया जा रहा है, इसकी जीती-जागती मिसाल हैं हैदराबाद प्रांत की रहने वालीं भारती। तीन साल के लंबे इंतजार के बाद गत 10 मार्च को वह जब भारत आने के लिए ट्रेन पकड़ने वाली थीं, उनकी गोद में सिर्फ तीन दिन का बेटा था। जल्दबाजी में बच्चे के पासपोर्ट का इंतजाम नहीं हो पाया तो वह उसे पाकिस्तान में रिश्तेदारों के पास ही छोड़कर आ गई। भारती कहती हैं- मैंने अपने छह अन्य बच्चों की हिफाजत के लिए एक बच्चे को हमेशा के लिए छोड़ दिया। अब मैं कभी भी वहां नहीं जाऊंगी।

62 वर्षीय सोहन लाल कहते हैं कि पाक में बहू-बेटियों का दिनदहाड़े अपहरण कर लिया जाता है। मुझे मेरी तीनों किशोर पोतियों की सुरक्षा की फिक्र है। मैं उन्हें भी अपने साथ यहां ले आया हूं।

गौरतलब है कि इन हिंदू शरणार्थियों को महाकुंभ में शिरकत करने के लिए वीजा दिया गया था।

28 कमरे, 479 लोग

गांव के नाहर सिंह ने इन हिंदू शरणार्थियों को अपने यहां आसरा दे रखा है। उनके 28 कमरों में 479 लोग गुजारा कर रहे हैं। छोटे-छोटे कमरों में एक साथ 18 लोग रहते हैं। ये परिवार इधर-उधर से लकड़ियों का इंतजाम कर खाना बनाते हैं। हालांकि स्वयंसेवी संस्थाओं व संगठनों की ओर से इन्हें खाद्य सामग्री मुहैया कराई जा रही है। बुधवार को विश्व हिंदू परिषद की तरफ से इन परिवारों को सम्मानित किया जाएगा।

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