नई दिल्ली। वर्ष 2018 के रेल बजट के बाद यात्रियों का कई ऐसी ट्रेनों से नाता टूट सकता है, जो पूरी तरह से भरकर नहीं चलतीं। हालांकि, रेलवे अभी ऐसी ट्रेनों के लिए पैमाना तय कर रहा है और उसी आधार पर ट्रेनों की पहचान भी की जाएगा। रेलवे को अब लगने लगा है कि जिन ट्रेनों में यात्रियों की तादाद बेहद कम होती है, उन्हें बंद कर दिया जाए या फिर किसी दूसरी ट्रेन में मर्ज किया जाए। अगर रेलवे बोर्ड के स्तर पर आखिरी फैसला किया जाता है तो इस आशय का ऐलान रेल बजट में या फिर उसके फौरन बाद किया जा सकता है।रेलवे सूत्रों का कहना है कि मंथन शुरू हो चुका है और जल्द ही फैसला लिया जा सकता है। हालांकि, इससे कितनी ट्रेनों पर असर पड़ेगा इसका आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि अगर 50 फीसदी खाली चलने वाली ट्रेनों का पैमाना तय किया गया तो भी बड़ी संख्या में ऐसी ट्रेनों को बंद किया जा सकता है। रेलवे ने यह भी सोचा है कि ऐसी ट्रेनों को तभी बंद किया जाएगा जबकि वहां विकल्प के तौर पर अन्य ट्रेनें उपलब्ध हों। ऐसी स्थिति में कुछ ट्रेनों को दूसरी ट्रेन में मर्ज भी किया जा सकता है। मसलन, अगर एक ही रूट पर दो ट्रेनें पूरी क्षमता से यात्री लेकर नहीं चल रहीं तो उनके टाइम में बदलाव करके उन दो की जगह एक ही ट्रेन को चलाया जाए या फिर उसके मार्ग में कुछ फेरबदल किया जाए।
रेलवे सूत्रों के मुताबिक, बोर्ड का मानना है कि अभी ट्रैक पर इतना भार है कि एक के बाद एक ट्रेनें चलती हैं, जिसकी वजह से ट्रेनें लेट भी होती हैं। ऐसे में क्यों न कम महत्व की ट्रेनों की पहचान करके उन्हें अलग कर दिया जाए ताकि बाकी ट्रेनों को रफ्तार दी जा सके। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि वैसे भी रेलवे को अगर एक कमर्शल संगठन की तरह से चलाना है तो इस तरह की ट्रेनों को बंद किया जाए।
सूत्रों के मुताबिक रेलवे लाइनों का नेटवर्क बढ़ाने की बजाय जहां ट्रैक खराब हैं उन्हें दुरुस्त किए जाने पर काम कर रहा है। इससे न सिर्फ ट्रेनों को सुरक्षित बनाया जा सकेगा बल्कि ट्रेनों की स्पीड भी बढ़ जाएगी।