लखनऊ, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश ने चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रशासन द्वारा एक परिपत्र जारी कर विभाग में 50 साल से ऊपर की उम्र वाले कर्मी अथवा 30 साल से ऊपर वाले कर्मियों की दक्षता प्रमाणित ना होने पर छटनी करने अर्थात अनिवार्य सेवानिवृत्ति करने हेतु एक कमेटी बनाकर प्रदेश के सभी स्वास्थ्य कर्मियों को मानसिक रूप से हिला दिया है । राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश ने इस आदेश की निंदा करते हुए कहा कि यह कोई सामान्यतः प्रयोग किया जाने वाला शासनादेश नहीं है, केवल भय दिखाकर कर्मचारियों को मानसिक रूप से उत्पीड़ित किया जा रहा है ।
परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने बताया कि राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के साथ मुख्य सचिव एवं अपर/ प्रमुख सचिव कार्मिक के साथ कई बार हुई वार्ताओं में यह बात स्पष्ट किया जा चुका है कि यह शासनादेश सामान्य कर्मचारियों के प्रयोग हेतु नहीं है, किसी भी कर्मचारी की छटनी के उद्देश्य यह शासनादेश नहीं बनाया गया था ।
इसको ऐसे ही समझा जा सकता है कि कार्मिक विभाग द्वारा वर्ष 1985 वर्ष 1989 वर्ष 1998 और वर्ष 2000 में मूल शासनादेश जारी किया गया था लेकिन शासनादेश से सामान्य कर्मचारी प्रभावित नहीं हुआ । अब कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का उद्देश्य को लेकर सबसे पहले प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रशासन द्वारा एक कमेटी बना दी गई है लेकिन दक्षता प्रमाणित करने का आधार क्या होगा यह तय नहीं है ।ज्ञातव्य हो कि पूर्व में इस शासनादेश का हवाला देते हुए कई विभागों के द्वारा द्वेष पूर्ण रवैया अपनाते हुए कई कर्मचारियों को जबरन सेवानिवृत्त किया था ।जिसपर कर्मियों द्वारा न्यायालय की शरण ली गई और न्यायालय ने आदेश को निरस्त करते हुए शासन को ठोस नीति के उपरांत ही अग्रिम कोई कार्यवाही हेतु निर्देश दिये थे । निश्चित ही इससे प्रदेश में भ्रष्टाचार बढ़ेगा और तानाशाही पूर्ण रवैया के कारण कर्मचारी अंदर ही अंदर भयभीत होगा ।
वर्तमान समय में प्रदेश का चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग कोरोनावायरस से लड़ने में लगा हुआ है प्रदेश के कर्मचारी अपनी जान की परवाह किए बगैर कोविड-19 में कार्य कर रहे है, बचाव व उसके उपचार आदि में कर्मचारियों द्वारा पूरी तरीके से सफलता भी प्राप्त की जा रही है ।ऐसे समय में कर्मचारियों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए, पारितोषिक दिया जाना चाहिए, जबकि ऐसे समय निदेशक प्रशासन द्वारा एक भया क्रांत करने वाले आदेश निर्गत किया गया जिसका परिणाम पूरे प्रदेश में देखने को मिला है । प्रदेश के सभी कर्मचारी अत्यंत आक्रोशित है और अगर ऐसे समय में किसी भी कर्मचारी के साथ द्वेष पूर्वक कार्यवाही की जाती है तो राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद इसके विरोध में आंदोलन भी करेगा । इसके साथ ही परिषद 15 सितंबर से लेकर 14 अक्टूबर तक जन जागरण अभियान भी चला जाएगा जिसमें कर्मचारियों को जागरूक किया जाएगा और सरकार की मंशा से अवगत कराया जाएगा। वही 14 अक्टूबर को अंतिम दिवस पूरे प्रदेश में धरना भी आयोजित किया गया है। जिसमें सरकार की इन नीतियों के विरोध में प्रस्ताव पारित किया जाएगा ।
प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि प्रदेश के सभी जनपदों से कर्मचारियों की प्रतिक्रियाएं विभिन्न माध्यमों से प्राप्त हो रही है माननीय प्रधानमंत्री व माननीय मुख्यमंत्री जी कोरोनावारियर्स के कार्यो की सार्वजनिक रूप से प्रशंशा भी कर रहे हैं ,वही स्वास्थ विभाग के निदेशक द्वारा इस प्रकार का पत्र जारी कर कर्मचारियों को मानसिक रूप से परेशान किया गया । तत्काल उक्त पत्र को वापस लिया जाना आवश्यक है । उन्होंने कहा कि संक्रमण काल में जहां सभी कर्मचारी आर्थिक, मानसिक रूप से परेशान हैं उन्हें संबल की जरूरत है । परिषद ने चेतावनी दी है कि कर्मचारी विरोधी रवैये को परिषद कभी बर्दाश्त नहीं करेगी । परिषद नहीं चाहती है कि आंदोलन करना पड़े लेकिन यदि कर्मचारी विरोधी रवैया ऐसे ही बरकरार रहा तो परिषद बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होगी । परिषद ने मा मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप कर कर्मचारी विरोधी आदेशों को रोकने की मांग की ।
अतुल मिश्रा
महामंत्री