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Sunday, September 15, 2024

56 इंच के सीने की बुजदिली…

हिसाम  सिददीकी । छप्पन इंच के सीने के ‘घमण्ड’ के साथ मुल्क की सत्ता पर काबिज हुए नरेन्द्र मोदी ने खुद और उनके अंधे भक्त दावा करते रहते हैं कि आजादी के बाद से अब तक ऐसा बाहिम्मत, ईमानदार, राष्ट्रभक्त वजीर-ए-आजम इस मुल्क को कभी नहीं मिला। वह बहादुर और बेमिसाल वजीर-ए-आजम कहां गायब हो गया जब देश की हिफाजत के लिए अपनी जान पर खेलकर भी कश्मीर में ड्यूटी करने वाले एक बहादुर सिपाही को कश्मीर के कुछ गुण्डे और क्रिमिनल सड़क पर पत्थर मारते-मारते थप्पड़ तक मारने लगे। बहादुर फौजी मार खाता रहा लेकिन अपने दाहिने हाथ में पकड़े हुए रायफल से गोली नहीं चलाई क्योंकि उसके दूसरे हाथ में एलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन थी जिसको बचाकर वह मुल्क की जम्हूरियत (जनतन्त्र) बचाए रखना चाहता था। बावर्दी फौजी को इस तरह पिटते देखकर पूरा मुल्क गुस्से और शर्म के समन्दर में डूब गया। मुल्क का हर शहरी अपने आप को धिक्कार रहा था कि एक बावर्दी फौजी सड़क पर पिट रहा है और हम अपने घरों में आराम से बैठे हुए हैं। पूरा मुल्क इसलिए भी खुद को शर्मिंदा महसूस कर रहा था कि वर्दी पहने जवान पर पड़ने वाला हर थप्पड़ उसे मुल्क के एहतराम (सम्मान) और अस्मत पर पड़ता दिख रहा था। हैरत है मोदी को इस वाक्ए पर शर्म नहीं आई और उन्होंने इस पर खामोशी अख्तियार कर ली। वह देश और दुनिया के थैलीशाहों, कारपोरेट घरानों और मआशी (आर्थिक) सिंडीकेट की पैरवी करते रहे ट्रांजेक्शन पर घंटों तकरीर करते रहे उनके मुंह से एक बार भी मुल्क के ‘सम्मान’ पर पड़े थप्पड़ की बात नहीं निकली। उसके बाद वह उड़ीसा फतेह करने भुवनेश्वर चले गए। भुवनेश्वर में सड़क के दोनों तरफ खड़ी उन्हीं के लोगों के जरिए लाई गई भीड़ की तरफ लहराते हुए उनके हाथ में हमें वही नापाक हाथ नजर आता रहा जो श्रीनगर में हमारे जांबाज फौजी पर पड़ता दिख रहा था।




कश्मीर में तैनात कुछ फौजी भी गलती करते हैं कई बार वह गलतियां भी मुजरिमों जैसी हो जाती हैं। हम उनकी मुखालिफत और मजम्मत भी करते हैं। हम इस बात को भी इंसानियत मुखालिफ समझते हैं कि कोई फौजी किसी नौजवान को जीप के आगे बांधकर इंसानी शील्ड बनाए और शहरियों या पत्थरबाजों को डराने का काम करे इस किस्म की गलतियां करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी होती रहती है, कार्रवाई होती भी रहनी चाहिए लेकिन इसका मतलब यह हरगिज नहीं हो सकता कि हम उन वतन दुश्मनों की शर्मनाक हरकतों पर भी खामोश रहें जो वतन के मुहाफिज बावर्दी सिपाही को थप्पड़ मारने जैसा बदतरीन जुर्म करे और निकल जाए। मोदी को उसे तलाश कराकर इतनी सख्त कानूनी सजा दिलानी चाहिए कि आने वाली नस्लें भी याद रखें।

हमें यकीन है कि वह ऐसा नहीं करेंगे वह तो हुर्रियत और मुल्क तोड़ने वाली ताकतों के हामियों के साथ मिलकर कश्मीर में सरकार बना चुके हैं। उनके फैसलों से जाहिर हो चुका है कि राष्ट्रभक्ति का उनका नारा महज ड्रामा और जुमलेबाजी था। वह तो सिर्फ और सिर्फ ‘सत्ताभक्त’ हैं। फौजी को थप्पड़ मारने वाले का वीडियो वायरल होता रहा है जिसे देखकर उस शख्स को तलाश किया जा सकता था। अब तो हफ्तों का वक्त गुजर गया मुमकिन है मुल्क को शर्मिंदा करने वाला वह शख्स भाग कर सरहद पार बैठे अपने आकाओं की गोद में पहुंच गया हो। मोदी को फिक्र होती तो जिस दिन यह शर्मनाक वाक्या पेश आया था उसी दिन पूरे इलाके को घेर कर तलाशी कराते और मुल्क के उस मुजरिम को पकड़वा कर कानून के हाथों में पहुंचवाते। उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने देश के ‘सम्मान’ पर कैशलेस सिस्टम को तरजीह (प्राथमिकता) दी। उन्हें नींद कैसे आती है? शायद आती होगी क्योंकि उन्हें तो अरूणाचल प्रदेश, गोवा, उत्तराखण्ड और उत्तर प्रदेश की सत्ता चाहिए थी मिल गई अब उड़ीसा चाहिए उसे भी ले लेंगे लेकिन याद रखना चाहिए कि देश के ‘सम्मान’ की धज्जियां उड़ती देखने के बावजूद जो हुक्मरां सत्ता के पीछे भागने का काम करते रहते हैं इतिहास उन्हंे कभी माफ नहीं करता। हम यह सतरें इसलिए लिख रहे हैं कि वायरल वीडियो देखकर हमारे जज्बात को ठेस पहुंची है। हम भी करोड़ों हिन्दुस्तानियों की तरह दो दिनों तक सो नहीं सके इस ख्याल से कि हमारा मुल्क किधर जा रहा है।

2014 में पूरे मुल्क को गुमराह करके सत्ता में आने से पहले तो खुद मोदी और उनकी पार्टी ने कश्मीर के सिलसिले में बड़े-बड़े वादे किए थे। उन वादों का क्या हुआ? कश्मीर के मामले में वह एक  कदम भी आगे नहीं बढ़ सके हैं किसी भी जम्हूरी सिस्टम के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक बात और क्या हो सकती है कि देश के सबसे बड़े राष्ट्रभक्त और काबिल वजीर-ए-आजम होने का दावा  करने वाले शख्स की पार्टी की सरकार कश्मीर में है फिर भी अलहदगी पंसदों (अलगाववादियों) ने श्रीनगर लोक सभा हलके के जम्हूरियत में यकीन रखने वालों को वोट तक नहीं डालने दिया। जम्मू कश्मीर की तारीख की सबसे कम महज सात फीसद पोलिंग ही वहां हो सकी। जिन लोगों ने वोट के अपने बुनियादी हक का इस्तेमाल करने की कोशिश की उनकी सरेआम पिटाई  की गई। इस रस्सा कशी में आठ-दस लोगों की जानें चली गईं। फौजियों और पैरामिलीट्री फोर्सेज के जवानों समेत सैकड़ों लोग जख्मी होकर अस्पतालों में पहुंच गए, लेकिन नामर्दी और बुजदिली की अलामत बन चुकी बीजेपी और पीडीपी की मिलीजुली सरकार चलाने  व चलवाने वालों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। अगर आज जम्मू कश्मीर में कांगे्रस या नेशनल कांफ्रेंस की सरकार होती तो वजीर-ए-आजम मोदी समेत उनका पूरा आरएसएस कुन्बा आसमान सर पर उठा लेता। शायद सरकार भी बर्खास्त हो जाती अब सभी खामोश क्यों हैं? बाई एलक्शन में सात फीसद फिर 28 पोलिंग स्टेशनों पर हुई। रिपोलिंग में महज दो फीसद वोटिंग। इतनी शर्मनाक सूरतेहाल तो उस दौर में भी नहीं होती थी जब कश्मीर वादी में दहशतगर्दों का राज चलता था। इस बार की तरह 2014 के लोक सभा एलक्शन फिर 2014 के आखिर में असम्बली एलक्शन के वक्त भी तो अलहदगी पसंद हुर्रियत कांफ्रेंस ने एलक्शन के बायकाट का नारा दिया था। लोगों ने उनके नारे की परवा किए बगैर रिकार्ड पोलिंग करके दुनिया खुसूसन पाकिस्तान को बता दिया था कि कश्मीरियों को बैलेट में यकीन है अपने बैलेट का इस्तेमाल करने में उन्हें बुलेट की भी कोई परवा नहीं है। अब तो बहादुर राष्ट्रभक्तांे की सरकार है तो सरकार के सीने पर चढकर देश और जम्हूरियत दुश्मन ताकतों ने अपने हुक्म पर अमल करा लिया।  इसके बावजूद सरकार में बैठे लोगों के चेहरों पर शर्म की एक लकीर तक नहीं दिखी। उल्टे कश्मीर सरकार ने कह दिया कि हम ने पहले ही एलक्शन कमीशन से कह दिया था कि अभी हालात ऐसे नहीं हैं कि लोक सभा की दो सीटों के बाई एलक्शन कराए जा सके लेकिन एलक्शन कमीशन नहीं माना।

जम्मू कश्मीर में आखिर यह कौन सी सरकार है जो एक या दो लोकसभा हलकों के बाई एलक्शन भी नहीं करा सकती। ऐसी सरकार को तो एक मिनट भी बने रहने का कोई एखलाकी हक (नैतिक अधिकार) नहीं है। अगर पर्दे के पीछे से आरएसएस और सामने से दिखाने के लिए महबूबा मुफ्ती व डाक्टर निर्मल सिंह के जरिए चलाई जाने वाली सरकार एक हलके का एलक्शन नहीं करा सकती तो इस सरकार के हाथांे में कश्मीर महफूज (सुरक्षित) नहीं है। कल को अगर सरहद पार के दहशतगर्द गरोह आकर श्रीनगर में बैठ गए तो यह सरकार हाथ पर हाथ रखे बैठी रहेगी। मोदी ने आखिर कश्मीर सरकार से आज तक यह क्यों नहीं पूछा कि बावर्दी फौजी को थप्पड़ मारने का वीडियो वायरल होने के फौरन बाद सरकार ने उस पूरे इलाके को सील करके उस गुण्डे को पकड़वाने की कार्रवाई क्यों नहीं की जिसकी शक्ल वीडियो में साफ दिख रही है। ऐसा भी नहीं कि उस पूरे इलाके के लोग फौजियों पर इस तरह हमला करके दुनिया के सामने मुल्क के ‘सम्मान’ को चोट पहुंचाने के हामी हैं। वायरल वीडियो मे साफ दिख रहा है कि जब एक दो गुण्डे मुजरिम फौजी को थप्पड़ मार रहे थे तो मौके पर मौजूद लोग उन मुजरिमों को ऐसी घिनौनी हरकत करने से रोकने की भी कोशिश कर रहे थे।

हम दुनिया की अजीम जम्हूरियत (महान जनतन्त्र) वाला देश हैं हमारे यहां अवाम और उनके वोटों को बाकी तमाम ताकतों पर फौकियत हासिल है। देश को वजीर-ए-आजम मोदी से यह सवाल करने का बुनियादी अधिकार है कि आखिर कश्मीर और पाकिस्तान के सिलसिले में उनकी पालीसी क्या है? तीन साल हो गए वह तो पाकिस्तान को बकरी बनाने का वादा करके सत्ता में आए थे देश तीन सालों  में समझ नहीं सका है कि आखिर पाकिस्तान को दहशतगर्द मुल्क और वहां पल रहे हाफिज सईद व मसूद अजहर जैसों को दहशतगर्द करार देने के लिए मोदी और उनकी सरकार अमरीका और यूनाइटेड नेशन्स के सामने ही क्यों हाथ फैलाए नजर आते हैं? आखिर वह कौन सी ताकतें हैं जो उन्हें खुद पाकिस्तान को दहशतगर्द मुल्क करार देने से रोक रही हैं? वह कौन से व्यापारी और कारपोरेट घराने हैं जिनके दबाव में वह अभी भी पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड देश का दर्जा दिए हुए हैं। पार्लियामेंट में एक तजवीज पेश करके पहले भारत ही पाकिस्तान को दहशतगर्द मुल्क करार क्यों नहीं दे रहा है। आखिर मोदी और उनकी सरकार पर किसका दबाव है। जिस तरह मनमोहन सिंह सरकार ने पार्लियामेंट में तजवीज पास करा कर पाकिस्तान को दो टूक बता दिया था कि कश्मीर (पाकिस्तानी कब्जे वाले हिस्से समेत) हमारा अटूट हिस्सा है हम इस पर कोई समझौता नहीं कर सकते। उसी तरहकी तजवीज पार्लियामेंट में लाकर पाकिस्तान को दहशतगर्द मुल्क करार क्यों नहीं दे पा रहे हैं।

नरेन्द्र मोदी नोटबंदी, देश मे छुपे कालेधन को निकलवाने और मुल्क को कैशलेस या लेसकैश बनाने के कितने भी दावे क्यांे न करते रहें अब मुल्क के लोग समझने लगे हैं कि वह यह सारी की सारी नारेबाजी कश्मीर और पाकिस्तान मामलात समेत पूरी तरह नाकाम हो चुकी खारजा (विदेश) पालीसी पर पर्दा डाले रखने की गरज से कर रहे हैं। वह अपनी नाकामियों को छुपाने की चाहे कितनी ही कोशिशें क्यों न करें उनके कैबिनेट से डिफेंस मिनिस्ट्री छोड़कर वापस गोवा भागने वाले अब वहां के चीफ मिनिस्टर मनोहर परिकर ने सिर्फ एक जुमले में ही मोदी सरकार की तमाम पोल पट्टी खोल दी है। उन्होने साफ कहा है कि कश्मीर मामले का जबरदस्त दबाव होने की वजह से वह डिफेंस मिनिस्टर की हैसियत से काम नहीं कर पा रहे थे और डिफेंस मिनिस्ट्री छोड़ना चाहते थे। मनोहर परिकर तो अपनी खाल बचा कर गोवा चले गए वहां चीफ मिनिस्टर बन कर आराम के साथ बादशाहत कर रहे हैं लेकिन मोदी सरकार की कमजोरियों की जानिब तो उन्होंने साफ इशारा कर ही दिया। खुद मोदी की हालत यह है कि लोक सभा में मुकम्मल अक्सरियत होने के बावजूद उनके पास एक भी ऐसा शख्स नहीं है जिसे वह डिफेंस मिनिस्टर बना सकें। डिफेंस जैसी अहमतरीन मिनिस्ट्री का काम पहले से ही काम के जबरदस्त बोझ से दबे फाइनेंस मिनिस्टर अरूण जेटली को एडीशनल चार्ज की तरह सौंप कर उन्होंने सरकार के दीवालिएपन को जाहिर कर दिया है। अब या तो उनकी पार्टी में कोई शख्स इस लायक नहीं है कि आप उसे डिफेंस मिनिस्टर बना देते  या फिर जो लोग हैं वह पाकिस्तान के मामले में कारपोरेट घरानों के दबाव में काम करने के लिए तैयार नहीं हैं। हकीकत जो भी हो वह इस जिम्मेदारी से बच नहीं सकते कि कोई सड़क छाप गुण्डे हमारे बावर्दी जवान को थप्पड़ मारकर मुल्क की असमत और सम्मान पर हमला करके निकल जाए और रियासती व मरकजी  सरकारें खामोश तमाशाई बनी रहें। जम्मू कश्मीर में सरकार मोदी की है इसलिए यह उन्हीं की जिम्मेदारी है कि इस तरह देश की इज्जत पर हमला करने वाले को पकड़कर देश के कानून के सामने पेश करें।

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