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Thursday, January 23, 2025

59000 कुत्तों की होगी नसबंदी, पढ़े पूरी खबर

नगर निगम हर महीने करेगा एक हजार कुत्तों की नसबंदी, बंदर भी होंगे शहर के बाहर

लखनऊ, शैलेन्द्र कुमार। अभी तक आपने आदमी और औरतों की नसबन्दी के बारे में सुना है लेकिन अब कुत्तों की भी नसबंदी होगी। कुत्तों की बढ़ती संख्या पर रोक लगाने के लिए नगर निगम कुत्तों की नसबंदी की मुहिम चलायेगा। जिसमें हर माह एक हजार कुत्तों की नसबंदी की जायेगी। इस हिसाब से नगर निगम सीमा में घूम रहे 59 हजार कुत्तों की नसबंदी के लिए 59 माह का वक्त लगेगा। इंदिरानगर के जरहरा में पशु चिकित्सालय बनाया जाएगा।

केन्द्र सरकार ने 4‐98 करोड़ रूपये कान्हा पशु आश्रय योजना लखनऊ को दिये हैं। नगर निगम के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डाॅ‐ अरविंद राव कहते हैं कि जल्द ही जरहरा में पशु चिकित्सालय बनाने का काम शुरू हो जाएगा। यहां पर कांजी हाऊस के साथ ही ऐसे पशुओं का शेल्टर होम भी बनेगा, जिन्हें लोग छुड़ाने नहीं आते हैं।लोग अपनों घरों में जो कुत्ते पालते हैं उनके बीमार होने या पागल हो जाने पर वे उन्हें भी शहर में ऐसे ही खुला छोड़ के चले जाते हैं। जिससे शहरवासियों को परेशानियों से बचाने के लिए नगर निगम पकड़कर कांजी हाउस में ले जाकर डाल देता है।

इसी के साथ लखनऊ में उत्पात मचाने वाले बंदरों को पकड़ने का भी अभियान चलेगा। बंदरों को पकड़ने के लिए जिलाधिकारी के निर्देश पर सोमवार को कई विभागों के अधिकारी बैठक करेंगे। बता दें कि बंदरों को पक़ड़ने के लिए कौन-कौन से विभाग जिम्मेदार हैं उसके लिए वर्ष 1990 में हुए शासनादेश को आधार बनाया गया है। दरअसल,शहर में अचानक बंदरों की संख्या इस कदर बढ़ गई है कि हर कोई परेशान है। सोमवार को होने वाली इस बैठक के लिए डीएफओ अवध श्रद्धा यादव ने बताया है कि नगर निगम, जिला प्रशासन व वन विभाग के अधिकारियों की संयुक्त बैठक सोमवार को दोपहर 3 बजे से बुलाई गई है।

बंदरों का उत्पात तो लोगों से झेला भी नहीं जा रहा है। वह कुछ भी तोड़ देते हैं, कपड़े उठा ले जाते हैं, कपड़े फाड़ देते हैं, लोगों के घर पर लगी डिस तक तोड़ देते हैं जिससे लोग काफी परेशान हो रहे हैं और नगर निगम में रोज शिकायतें लेकर जाते हैं। बंदरों की बढ़ रही संख्या और उनसे लोगों को हो रही परेशानियों को ध्यान में रखकर ये बैठक बुलाई जा रही है।

आज कल जिस तरह से खुले में पशु काटे जा रहे हैं और उनकी बिक्री की जा रही है इससे वातावरण पर काफी प्रभाव पड़ रहा है और आम लोगों को भी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। इसी को देखते हुए यह भी बताया गया है कि मोहनलालगंज के बिंदौवा में आधुनिक वधशाला बनाई जाएगी। यहां हर दिन 12 सौ बकरे और 12 सौ भैंसे काटे जाएंगे। अभी तक पशुओं को काटने का कोई इंतजाम नहीं है।

अभी मरे कुत्ते व बिल्ली को सड़क से उठाया जाता है और किसी नाले व झाड़ी में फेंक दिया जाता है। मरी गायों को उठाकर उनकी खाल निकालने के बाद उनका अवशेष खुले में फेंक दिया जाता है। जिससे हवा भी प्रदूषित होती है और बीमारियों का घर भी तैयार होता है। अभी तक नगर निगम ऐसी ही मृत पशुओं का निस्तारण करता है और शहर के खुले स्थानों पर ऐसे पशुओं के मृत शरीर सड़ते नजर आते हैं।

बता दें कि मृत पशुओं के शरीर से सड़ने के बाद जो बदबू आती है वह हवा को काफी हद तक प्रदूशित करती है। और शहर के वायु प्रदूषण में भी भूमिका निभाती है। कई बार तो यह दुर्गंध इतनी तेज हो जाती है कि नाक पर रूमाल लगाने को मजबूर कर देते हैं। अब शहरवासियों को इसी दुर्गंध व समस्या से निजात दिलाने के लिए ही यह अहम कदम उठाया जा रहा है। कार्कस यूटिलाइजेशन प्लांट शहर की झोली में आया है। इस प्लांट में मृत पशु के जाते ही उसके तमाम अंग उपयोगी बनने लगेंगे। और इससे मुर्गी दाना और मछली दाना बन जाएगा।

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