इरफान शाहिद:NOI।
भारतीय क्रिकेट टीम वर्डकप से क्या बाहर हुई लोग महेंद्र सिंह धोनी के पीछे हाथ धो के पड़ गए हैं कि धोनी अब क्रिकेट को अलविदा कह दें।लेकिन धोनी ने इस पर अपनी कोई प्रतिक्रिया अभी तक नही दी है क्योंकि वो जानते हैं कि अभी उनमे बहुत क्रिकेट बाकी है।महेंद्र सिंह धोनी बल्ले के अलावा दिमाग से भी क्रिकेट खेलने में माहिर हैं कैप्टन कूल के नाम से विख्यात धोनी ने भारतीय क्रिकेट को बहुत कुछ दिया है जो सालों तक कोई कप्तान नही दे पाया फिर ऐसे में एक मैच की हार का ठीकरा धोनी के सिर क्यों?
अगर सेमीफाइनल वाले मैच की बात की जाए तो वहां पहले तो ओपनर बल्लेबाजों ने निराश किया उसके बाद कप्तान विराट कोहली ने गैरजिम्मेदारी दिखाई और चलते बने उसके बाद उनका बैटिंग आर्डर जहां धोनी को हार्दिक के बाद भेजा गया। हार्दिक और ऋषभ पन्त ने प्रेशर हटाने के बजाए और प्रेशर डालकर अपना अपना विकेट गंवा दिया फिर धोनी और जडेजा ने पारी को सम्भाला और उम्मीद जगाई की भारत मैच जीत सकता है।
लेकिन बाल और रनों का बढ़ता अंतर उनको भी परेशान करने लगा जिसके ज़िम्मेदार पहले के सब युवा खिलाड़ी रहे उसी कारण जडेजा ने भी बड़े शाट का प्रयास किया और अपना विकेट गंवा बैठे फिर धोनी ने सारी जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हुए मोर्चा संभाला और पहली बाल पे 6 रन ठोक दिए लगा के मैच धोनी जिता कर ही लौटेंगे।फिर दूसरी बॉल उनके हाथ पे लगी और वो दो रन के लिए भागे ताकि स्ट्राइक उनके पास ही रहे लेकिन दुर्भाग्य से वो आऊट हो गए और हां अगर डायरेक्ट हिट ना होती तो धोनी पहुंच भी जाते लेकिन ऐसा हुआ नही और भारत की जीत की उम्मीद धोनी के साथ मैदान से बाहर आ गई।
तो ये सारा ब्यौरा क्या संकेत दे रहा है क्या ये धोनी के सन्यास लेने का कारण है जबकि उस मैच में धोनी ने 50 रन बनाए बाकी 40 भी नही छू पाए सिर्फ जडेजा ने सबसे अधिक रन बनाए थे उस मैच में।अगर मैच के आधार पर सन्यास की बात हो रही है तो रोहित ,विराट,और राहुल को सन्यास लेना चाहिए ना के धोनी को और हां कोच रवि शास्त्री भी कोचिंग लायक नही दिखते उनमे भी राजनीति ज्यादा हॉबी हो गई है टीवी स्क्रीन पर साफ दिखा के उन्होंने ही धोनी को 7वे नम्बर पर जाने का फरमान सुनाया था।इसलिए मेरे हिसाब से माही में अभी बहुत क्षमता है दूर तक जाने की।