नई दिल्ली,एजेंसी-7 अक्टूबर। रेल भर्ती परीक्षा में 96 प्रतिशत अंक पाने के बावजूद नौकरी न मिलने से निराश एक युवक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की गुहार लगाई है। ललित कुमार (31) ने दिसंबर 2013 में उत्तर रेलवे की ग्रुप डी परीक्षा में हिस्सा लिया था। जब भर्ती परीक्षा का परिणाम आया, तो उसका चयन नहीं हुआ था। ललित आश्वस्त थे कि जरूर कोई गलती हुई है, इसलिए उन्होंने सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत जानकारी मांगी। एक साल बाद ललित को जवाब मिला, जिसमें बताया गया कि उसकी उम्मीदवारी रेलवे भर्ती प्रकोष्ठ ने इसलिए रद्द कर दी, क्योंकि यह अंक कट-ऑफ से कहीं ज्यादा है और प्रकोष्ठ को लगता है कि यह अंक उसने परीक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग कर हासिल किया।
जबाव से असंतुष्ट ललित यहां बड़ौदा हाउस में स्थित उत्तर रेलवे के कार्यालय में केंद्रीय जन सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) के पास लगातार जाते रहे। ललित की जिद देखकर, अधिकारी ने उसे केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) में अपील दायर करने के लिए कहा। ललित ने कहा, “मैंने प्रथम अपील प्राधिकारण (एफएए) और सीआईसी में अपनी अपील दायर की।” ललित की अपील पर सीआईसी ने जुलाई 2015 का समय सुनवाई के लिए तय किया, लेकिन एफएए ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
सीआईसी ने 10 अगस्त को सीपीआईओ से ललित के चयनित नहीं होने का कारण 30 दिनों में बताने के लिए कहा। सीपीआईओ ने ही ललिल पर परीक्षा में अनुचित साधनों को उपयोग करने का आरोप लगाया। उनके पास कोई सबूत नहीं है कि मैंने अनुचित साधन या धोखाधड़ी की थी। मैं उन्हें इसे साबित करने की चुनौती देता हूं?” ललित अब इग्नू से बैचलर ऑफ सोशल वर्क की पढ़ाई कर रहा है और अपने परिवार की देखभाल के लिए दिल्ली परिवहन निगम में कंडक्टर का काम भी कर रहा है। ललित ने बताया, “मैं एक गरीब परिवार से हूं और मेरे तथा मेरे परिवार के लिए यह परीक्षा काफी मायने रखती है।” ललित ने अब न्याय के लिए लिखित में प्रधानमंत्री कार्यालय से मदद की गुहार लगाई है। ललिल ने इसे अपनी आखिरी उम्मीद बताया है।