नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने शुक्रवार को दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य करार दिया है। आयोग ने चुनाव आयोग ने लाभ के पद मामले में यह कदम उठाया है और अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेज चुका है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आम आदमी पार्टी में आए इस भूचाल के पीछे किस शख्स का हाथ है?
चुनाव आयोग ने एक वकील प्रशांत पटेल की शिकायत के बाद अपना यह सुझाव राष्ट्रपति को भेजा है। हमारे सहयोगी चैनल ‘टाइम्स नाऊ’ के मुताबिक, प्रशांत पटेल हिंदू लीगल सेल के सदस्य हैं और उन्होंने जून 2015 में ही तत्कालीन राष्ट्रपति के समक्ष याचिका दायर कर संसदीय सचिवों की गैरकानूनी नियुक्ति पर सवाल खड़े किए थे।
30 वर्षीय पटेल इससे पहले अभिनेता आमिर खान और डायरेक्टर राजकुमार हिरानी के खिलाफ भी फिल्म PK में हिंदू देवी देवताओं का गलत चित्रण करने को लेकर FIR दर्ज करवा चुके हैं। इतना ही नहीं जेएनयू में हुई नारेबाजी के मामले में कन्हैया कुमार ने जब बेल की अर्जी दी थी, तो तब भी पटेल ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप किया था।
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के रहने वाले पटेल को सेंसर बोर्ड की पूर्व प्रमुख लीला सैमसन के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों में शिकायत दर्ज करने को लेकर भी जाना जाता है। कानून की पढ़ाई करने से पहले प्रशांत पटेल ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्ता एक क्रिस्चन कॉलेज से फिजिक्स और क्रिएटिव डिजाइनिंग की पढ़ाई की थी। पटेल ने नोएडा के चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से LLB की पढ़ाई की। इसके बाद वह दिल्ली शिफ्ट हो हुए और फैमिली-क्रिमिनल केसों को देखने लगे।
चुनाव आयोग ने आप के 21 विधायकों को ‘लाभ का पद’ मामले में कारण बताओ नोटिस दिया था। इस मामले में पहले 21 विधायकों की संख्या थी, लेकिन जरनैल सिंह पहले ही पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं।
दिल्ली सरकार ने मार्च, 2015 में आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को संसदीय सचिव बना दिया था। इसको लेकर प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी और कांग्रेस ने सवाल उठाए थे। इसके खिलाफ प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास याचिका लगाकर आरोप लगाया था कि ये 21 विधायक लाभ के पद पर हैं, इसलिए इनकी सदस्यता रद होनी चाहिए।