लखनऊ। देश में स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। इस पर सरकार ने एक और पहल की है। प्रदेश की जनता को पेयजल संकट से मुक्त कराने के लिए राज्य के सभी 75 जिलों में नगर निगम, नगर पालिका या नगर पंचायत के एक-एक वार्ड में 24 घंटे शुद्ध पेयजल की निर्बाध आपूर्ति किए जाने के आदेश जारी किया गया हैं।
नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने यूपी जल निगम (नगरीय खंड) को डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनाने के आदेश दिए हैं। कहा है कि जिले में एक ऐसे वार्ड का चयन किया जाए, जहां पर हर कनेक्शनधारी परिवार को 24 घंटे आपूर्ति की जा सके।
अमृत (अटल मिशन फार रेजुवेंशन एंड अर्बन ट्रांसफार्मेशन) 2.0 योजना के तहत बलिया में राजपुर नेवरी वार्ड का चयन हुआ है। यहां के 1578 परिवारों को हर समय पानी उपलब्ध कराने के लिए सर्वे पूरा हो चुका है। 28 जुलाई को लखनऊ में नगर विकास विभाग की कार्यशाला में वार्डों के नाम तय कर दिए हैं।
कार्यशाला में प्रदेशभर से नगर आयुक्त और अधिशासी अधिकारी शामिल हुए थे। अब चयनित वार्डों में हर समय पानी की आपूर्ति के लिए डिजिटल मीटर लगाए जाएंगे। हेल्पलाइन केंद्र भी खोले जाएंगे। मोबाइल वाटर टेस्टिंग लैब स्थापित की जाएगी। पेयजल संकट से जुड़ी शिकायतों के त्वरित निस्तारण के लिए क्विक रेस्पॉन्स टीम का गठन किया जाएगा, इसकी सघन निगरानी भी की जाएगी। इसके लिए स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को भी जोड़ा गया है। वह मीटर रीडिंग, राजस्व संग्रह व गुणवत्ता परीक्षण कर रहीं हैं।
एक परिवार से पेयजल आपूर्ति के लिए नगर पालिका 50 रुपये मासिक शुल्क ले रहा है। इन वार्डों में जनता को सुबह और शाम चार-चार घंटे पेयजल आपूर्ति हो रही है। नए सिस्टम के हिसाब से अगर वार्ड को ढालेंगे तो खर्च अधिक आएगा, लिहाजा इसकी भरपाई के लिए निकायों को शुल्क बढ़ाना पड़ सकता है। कारण कि एक डिजिटल मीटर की कीमत एक लाख रुपये से अधिक है। विशेष वार्ड के लिए अलग व्यवस्था होगी। नया ट्यूबवेल स्थापित किया जाएगा। पूरा सिस्टम भी उसी हिसाब से बनाया जाएगा।
यूपी जल निगम नगरीय इकाई के अधिशासी अभियंता अंकुर श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों में वार्डों का चयन हो गया है। सितंबर तक डीपीआर फाइनल करने के आदेश हुए हैं। परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं से भी सहयोग लिया जाएगा। योजना के जरिए पेयजल संकट दूर होगा। अभी तक 24 घंटे पेयजल आपूर्ति करने का मॉडल उड़ीसा के पुरी जिले में लागू किया गया है।