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Saturday, December 7, 2024

भैया दूज 14 नवंबर या 15 नवंबर आखिर कब मनाई आईए जानते हैं आचार्य पंडित अजीत कुमार मिश्रा से

भैया दूज भाई बहन के अटूट और अनन्य प्रेम का प्रतीक पर्व है ।हर साल भाई दूज का पर्व दीपावली के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है इसे यम द्वितीया के नाम से भी जानते हैं ,इस दिन बहनें भाई को तिलक करती हैं और लंबी उम्र की कामना करती हैं इस दिन भाई और बहन एक दूसरे के प्रति परंपरागत तरीके से स्नेह प्रकट करते हैं धार्मिक मान्यता है कि जो भाई इस दिन बहन के घर जाकर तिलक लगाकर भोजन करता है तो अकाल मृत्यु नहीं होती है।

भाई दूज कब है ?

कृष्ण मोहन मिश्र महराजनगर सीतापुर

पंचांग के अनुसार इस साल कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि का आरंभ 14 नवंबर को दोपहर 2:35 पर होगा और 15 नवंबर को रात 1:45 पर समाप्त होगा ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 15 नवंबर को भाई दूज मनाया जाएगा।

भाई दूज की पूजा की थाली में रखें ये चीजें

भाई दूज की पूजा की थाली में बहनें सिन्दूर,अक्षत,फूल,सुपारी,पान का पत्ता,चांदी का सिक्का,सूखा नारियल,कलावा,केला,मिठाई,दूर्वा आदि जरूर रखें ।

इस तरह तैयार करें भाई दूज की पूजा थाली

भाई दूज के दिन सबसे पहले एक प्लेट या थाली लें ,इसके बाद इसको गंगा जल से पवित्र कर लें, अब इसमें गेदा या फिर कोई दूसरे फूल रख कर सजा लें , फिर इसमें एक-एक करके छोटी कटोरी या फिर प्लेट में ही रोली, कुमकुम, अक्षत, कलावा, सूखा नारियल, मिठाई आदि रख दें, इसके साथ ही एक घी का दीपक जला लें।

भाई दूज पर बहनें न करें ये गलतियां

. भाई दूज के दिन बिना कुछ खाए हुए भाई का तिलक करना शुभ माना जाता है।
. इस दिन राहुकाल का अवश्य ध्यान रखें राहुकाल में तिलक करना अशुभ माना जाता है।
. तिलक करते समय भाई को जमीन में ना बिछाए बल्कि कुर्सी चौकी आदमी बैठ कर सिर में रुमाल या कोई कपड़ा अवश्य डालें।

. भाई दूज के दिन बहन या फिर भाई काले रंग के कपड़े बिल्कुल भी ना पहने। इस दिन आपस में लड़ाई झगड़ा बिल्कुल भी ना करें।भाई दूज के दिन भाई को तिलक करने के साथ अंत में आरती अवश्य उतारे।

भाई दूज पूजा विधि

भाई दूज के दिन स्नान और ध्यान करें फिर घर के मंदिर में घी का दीपक जलाकर ईश्वर का ध्यान करें इसके दिन यमराज और यमुना के साथ भगवान गणेश और भगवान विष्णु की पूजा का भी विधान है इस दिन इसे चावल से चौक बनाने की परंपरा भी है इसके बाद बहाने भाई को तिलक लगाए और फिर आरती उतारें ।
भाई दूज क्यों मनाया जाता है

भाई दूज की कथा यमराज और मां यमुना से जुड़ी हुई है, पौराणिक कथाओं के अनुसार यमराज और मां यमुना दोनों ही सूर्य देव की संताने हैं और भाई-बहन हैं दोनों में बेहद प्रेम था ,अरसों बाद यमराज बहन यमुना से मिलने पहुंचे तो उन्होंने भाई के लिए ढेरों पकवान बनाए, मस्तक पर तिलक लगाया और भेंट में नारियल दिया इसके बाद यमराज ने बहन से वरदान में उपहार स्वरूप कुछ भी मांग लेने के लिए कहा जिस पर मां यमुना ने कहा कि वह बस यह विनती करती हैं कि हर साल यमराज उनसे मिलने जरूर आए, इसी दिन से भाई दूज मनाये जाने की शुरुआत हुई। मान्यता है कि भाई दूज के दिन ही यमराज बहन यमुना से मिलने आते हैं।

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