लखनऊ। उत्तर प्रदेश में संचारी रोगों की रोकथाम के लिए 1 अक्टूबर से विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान एवं दस्तक अभियान की शुरुआत की जा रही है। शासन के निर्देशों के बाद नगर विकास विभाग की ओर से भी तैयारी शुरू कर दी गई है। निदेशक स्थानीय निकाय नेहा शर्मा ने सभी नगर निकायों को इस संबंध में दिशा निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने प्रदेश के सभी नगर निकायों में साफ-सफाई सुनिश्चित करने के साथ ही संचारी रोगों के प्रति जागरूकता फैलाने पर जोर दिया।
निदेशक नेहा शर्मा ने नगरीय क्षेत्र में मोहल्ला निगरानी समितियों के माध्यम से कोविड तथा संचारी रोगों के विषय में निरंतर जागरूकता बनाये रखने तथा कोविड रोग के लक्षणयुक्त व्यक्तियों को मेडिसिन उपलब्ध कराने में सहयोग करने को कहा है। साथ ही सभी नगर निकायों को संवेदनशील क्षेत्रों तथा शहरी मलिन बस्तियों में विभागीय गतिविधियों की प्रगति आख्या भौतिक प्रगति के अभिलेखीकरण के साथ तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। पूरे माह चलने वाले इस अभियान की रिपोर्ट राज्य मुख्यालय में 5 नवम्बर तक उपलब्ध करानी होगी।
बता दें कि संचारी रोग नियंत्रण अभियान 1 अक्टूबर से 31 अक्टूबर और दस्तक अभियान 7 अक्टूबर से 21 अक्टूबर के बीच चलाया जाएगा।
यह निर्देश भी किए गए जारी
शहरी क्षेत्रों में फॉगिंग करवाने के साथ ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपलब्ध करायी गयी हाई रिस्क क्षेत्रों की सूची में उल्लिखित स्थानों पर सघन वेक्टर नियंत्रण एवं संवेदीकरण गतिविधियां सम्पादित करानी होगी। नगरीय क्षेत्रों में वातावरणीय तथा व्यक्तिगत स्वच्छता के उपायों खुले में शौच न करने , शुद्ध पेयजल के प्रयोग तथा मच्छरों की रोकथाम हेतु जागरूकता अभियान संचालित किया जाएगा। खुली नालियों को ढकने की व्यवस्था, नालियों / कचरों की सफाई करवाने के निर्देश दिए गए हैं।
उथले हैण्डपम्पों का प्रयोग रोकने के लिये उन्हें लाल रंग से चिन्हित किया जाएगा। हैण्डपम्पों के पाइप को चारों ओर से कंकरीट से बन्द करने के साथ ही हैण्डपम्पों के पास अपशिष्ट जल के निकलने हेतु सोक-पिट का निर्माण कराने तक के निर्देश दिए गए हैं। शुद्ध पेयजल की गुणवत्ता के अनुश्रवण के लिये बैक्टीरियोलॉजिकल / वायरोलॉजिकल जाँच कराई जाएगी। आबादी में मिनी पब्लिक वाटर सप्लाई ( एमपीडब्ल्यूएस ), टैंक टाईप स्टैन्ड पोस्ट ( टीटीएसपी) की मानकों के अनुसार स्थापना एवं अनुरक्षण के निर्देश दिए गए हैं।
जल भराव तथा वनस्पतियों की वृद्धि को रोकने के लिये सड़कों तथा पेवमेन्ट का निर्माण करना होगा। सड़कों के किनारे उगी वनस्पतियों को नियमित रूप से हटाया जाएगा। शहरी क्षेत्रों एवं शहरी मलिन बस्तियों के संवेदनशील आबादी समूहों में अपनी गतिविधियों को केन्द्रित करने के निर्देश दिए गए हैं।