नई दिल्ली, एजेंसी । देश के बाद यूपी में नीली बत्ती हटाकर वीआईपी कल्चर को खत्म करने के सीएम योगी के आदेश के खिलाफ प्रदेश के पीसीएस अधिकारियों ने मोर्चा खोल दिया है। सूबे के पीसीएस अधिकारियों ने प्रदेश के सरकार के इस आदेश के खिलाफ पत्र लिखकर अपना कड़ा विरोध जताया है। आगे की स्लाइड में जानें क्या कहना है अधिकारियों का और क्या है आदेश-
वाराणसी के पीसीएस अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश सिविल सेवा एसोसियेशन को लिखे पत्र में इस आदेश की व्यवहारिकता पर सवाल उठाए हैं। अधिकारियों ने कहा कि प्रदेश सरकार ने इमरजेंसी के अतिरिक्त सभी सरकारी अधिकारियों को सरकारी गाड़ी पर नीली बत्ती लगाने से विरत कर दिया गया है। अधिकारियों ने कहना है कि उत्तर प्रदेश के राजस्व अधिकारी आपदा प्रबंधन के नोडल अधिकारी का दायित्व निभाते हैं। यह सड़क और राजमार्ग मंत्रालय के ड्राफ्ट नियम द्वारा आपात कालीन सेवाओं में रखा गया है। उन्होंने कहा कि राजस्व अधिकारियों पर संपूर्ण क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी होती है, जिसके कारण राजस्व अधिकारियों को 24 घंटे क्षेत्र में धरना, आपदा, प्रदर्शन, आंदोलन, दंगे एवं शांति भंग की स्थितियों में दिन रात भ्रमण कर पुलिस अधिकारियों के साथ काम करना पड़ता है।
अधिकारियों का कहना है कि ऐसी स्थिति में बिना नीली बत्ती के ऐसे संवेदनशील स्थानों ड्यूटी के दौरान समय से न पहुंच पाने के कारण स्थितियां नियंत्रण से बाहर हो सकती हैं। इसके अलावा प्रोटोकॉल एवं अतिक्रमण हटाने, विभिन्न प्रकार औचक निरीक्षण एवं अवैध कब्जों को हटाने के समय पुलिस और अन्य विभाग मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में काम करते हैं। ऐसे में बिना नीली बत्ती के भीड़ पर काबू पाना एवं विभिन्न निरीक्षणों का नेतृत्व करना अत्यंत कठिन हो जाएगा।
अधिकारियों ने कहा कि कानून और व्यवस्था स्थापित करने एवं प्रशासन को सुचारु रुप से चलाने , समयबद्ध और त्वरित कार्रवाई के लिए नीली बत्ती अत्यंत आवश्यक है। इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में वाराणसी के नगर आयुक्त एसपी शाही, एडीएम सिटी जितेंद्र मोहन सिंह, अपर नगर आयुक्त राजेंद्र सिंह सेंगर समेत सभी आला पीसीएस अफसर शामिल हैं।
सूबे के अधिकारियों ने सीएम के आदेश का भले ही विरोध किया हो लेकिन आम जनमानस में इसका स्वागत किया गया है। लाल और नीली बत्ती की स्थिति यह है कि यहां लोग टोल पर पैसा बचाने के लिए अपनी गाड़ियों में लाल और नीली बत्ती लगाकर चलते हैं। यही नही अधिकारियों के परिवार वाले भी नीली और लाल बत्ती लगाकर चलना अपनी शान समझते हैं।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2013 में एक फैसले में लाल बत्ती का समिति इस्तेमाल करने की पैरवी की थी। 10 मार्च 2014 को तत्कालीन प्रमुख सचिव कुमार अरविंद सिंह देव ने सर्वोच्च न्यायालय में दायर विशेष अनुज्ञा याचिका संख्या 25 237/2010 दिनांक दस दिसंबर 2013 में दिए गए आदेशों के क्रम में स्पष्ट किया था कि कौन लोग लाल और नीली बत्ती लगा सकते हैं। बावजूद इसके इसका अनुपालन नही हुआ। एक मई से अपनी गाड़ियों से बत्ती हटाने का मोदी कैबिनेट का फैसला लागू हो जाएगा। जिसमें किसी को छूट नही है।