CMS ने कानून को ताक पर रखकर किया आयोजन,नहीं दिखी सरकार की गाइडलाइन…..
अब्दुल अज़ीज़
लखनऊ : (NOI) देश और प्रदेश में कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या ने शासन और प्रशासन की जहां नींदे हराम कर दी है वही आम जनमानस की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं राजधानी लखनऊ की बात करें तो यहां निरन्तर कोरोना मरीजों का निकलना जारी है वहीं दूसरी तरफ इस महामारी से बचाव के लिये सरकार द्वारा लागू की गई गाइडलाइंस पर भी कोई असर होता नही दिखाई दे रहा है।ताजा मामला लखनऊ के सिटी मान्टेसरी स्कूल प्रबंधन द्वारा एक भव्य समारोह आयोजित किया जाना कहीं न कहीं सरकार की कोशिशों के ठेंगा दिखाती नजर आ रही है।आपको बता दें कि आज CMS ब्रांच गोमती नगर में टॉपर छात्रों को सम्मानित करने के लिये एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसके जरिये इन टॉपरों को एक-एक लाख रुपये का नगद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।इस कार्यक्रम में जम कर शोसल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई गयी।संस्थान के प्रबंधन और अभिभावकों को इस तरह देखा गया कि मानो उन्हें कोरोना का कोई भय नही है जबकि देश में कोरोना जैसे महामारी फैली हुई है और इसके बचाव के लिये सरकार बराबर प्रयत्नशील है मगर इसके बावजूद उस पर काबू पाना आसान नही हो रहा है और स्थिति ये हो गयी है कि हमारा देश करना मरीजों की संख्या को लेकर दुनिया मे तीसरे स्थान पर पहुंच गया है जो कोई शुभ समाचार नही है फिर भी इस तरह की लापरवाही सवाल पैदा कर रही है कि क्या सारे कानून र्सिफ गरीबों और मजदूरों के लिए ही हैं, जिन्हें बराबर फ्लो करने के लिये शासन और प्रशासन उनपर सख्ती कर रही है उसका उल्लंघन कर पुलिस उनका उत्पीड़न व प्रताड़ित भी कर रही है और समाज के ये हाई प्रोफाइल लोग चाहे जितना उल्लंघन करें इनके खिलाफ कोई कार्यवाही नही की जा रही है।किसी गरीब की बेटी की शादी भी होती है तो यही प्रशासन सरकार की गाइडलाइन बता कर 30 से 40 लोगों को ही शामिल रहने को बाध्य करती है जिसका बाकायदा प्रचार भी किया जाता है इसकी खिलाफ वरजी करने पर पुलिस बदतमीज़ी की सारी सीमायें पार कर जाती है कहीं कही खाना फेकने तक के मामले सामने आय हैं,यहां तक कि मंदिर और मस्जिदों में पूजा अर्चना के लिये यदि निर्धारित संख्या से अधिक लोग पहुंच गये तो उनके खिलाफ कार्यवाही करते हुये जेल तक भेजा जा चुका है लेकिन आखिर ऐसी दोहरी व्यवस्था क्यों ?