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Friday, December 6, 2024

EVM के विरोध में एकजुट होगा विपक्ष, आज लखनऊ में होगी पहली बैठक


लखनऊ. (ईवीएम) की जगह बैलेट वोटिंग की मांग को लेकर राजनीतिक दल जन आंदोलन बनाने की तैयारी में है। यूपी में इसकी पहल समाजवादी पार्टी (सपा) ने की है। शनिवार को जनेश्वर मिश्रा ट्रस्ट में दोपहर के वक्त मंथन होगा। जिसमें हिस्सा लेने के लिए सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम की ओर से कांग्रेस, बीएसपी, रालोद, लोकदल, सीपीआई, सीपीएम समेत सभी विपक्षी दलों को बुलावा भेजा है। बीएसपी को छोड़कर सभी दलों ने इस मंथन में हिस्सा लेने का संकेत दिया है। अखिलेश की सहमति पर गया बुलावा…
– की सहमति के बाद सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम की ओर से विपक्षी दलों के नेताओं को शनिवार को जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट में आमंत्रित किया गया है।
– सूत्रों का कहना है कि ईवीएम के स्थान पर बैलेट मतदान के लिए जन आंदोलन खड़ा करने पर चर्चा होगी। इसे लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों की एकजुटता के प्रयास के रुप में भी देखा जा रहा है।इससे पहले बीजेपी सरकार के यूपीकोका विधेयक के विरोध में विधानसभा में पूरा विपक्ष एकजुट नजर आया था।
जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट क्यों ?

– सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम का कहना है, ”जनेश्वर मिश्रा ट्रस्ट एक सामाजिक संगठन है। लोकतंत्र की रक्षा हेतु ईवीएम का विरोध के लिए इसीलिए इस संस्थान में मीटिंग बुलाई गई है।”

– पूर्व मंत्री और सपा के प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी का कहना है, ”ईवीएम में गड़बड़ी के तथ्य जनता के सामने है। बैलेट से लोकसभा चुनाव के लिए सभी दलों को एक होकर आवाज उठानीं होगी। तभी लोकतंत्र बचेगा।”

अखिलेश-ममता- राहुल-जयंत भी उठा चुके हैं सवाल

– ईवीएम पर रोक लगाते हुए बैलेट पेपर से चुनाव कराने को लेकर आम सहमति के साथ अखिलेश यादव ने कई दौर में ममता बैनर्जी से मुलाकात की।

– कांग्रेस अध्यक्ष ने भी कई बार ईवीएम पर सवाल उठाते हुए इसको लोकतंत्र की हत्या और जनता से धोखा बताया।
RLD, CPI ने बुलावे पर दी सहमति

– रालोद के प्रवक्ता अनिल दुबे का कहना है, ”हमारे अध्यक्ष अजित सिंह का मानना है कि ईवीएम में गड़बड़ी होती है। एेसे में इस मुद्दे पर एकजुट आंदोलन के लिए हम बैठक में हिस्सा लेंगे।”

– कांग्रेस के प्रवक्ता वीरेन्द्र मदान का कहना है, ”उनका दल ईवीएम में गड़बड़ी का सवाल उठा रहा है। लिहाजा इस मुद्दे पर किसी सार्वजनिक स्थान पर जाने में कोई वैचारिक विरोध नहीं है। लेकिन अंतिम फैसला संगठन और शीर्ष नेतृत्व को करना है। नेतृत्व से जो निर्देश मिलेगा, उस पर अमल किया जाएगा।”

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