नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हुई को बैठक में कुछ अधिकारियों ने कई राज्यों द्वारा घोषित लोकलुभावन योजनाओं पर चिंता जताते हुए दावा किया कि वे आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं हैं और वे उन्हें श्रीलंका के रास्ते पर ले जा सकती हैं। सूत्रों द्वारा इस बात की जानकारी दी गई।
प्रधानमंत्री ने शनिवार को 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने शिविर कार्यालय में सभी विभागों के सचिवों के साथ चार घंटे की लंबी बैठक की। बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, पीएम के प्रधान सचिव पीके मिश्रा और कैबिनेट सचिव राजीव गौबा के अलावा केंद्र सरकार के अन्य शीर्ष अधिकारी भी शामिल हुए। 2014 के बाद से प्रधानमंत्री की सचिवों के साथ यह नौवीं बैठक थी।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पीएम मोदी की बैटक में 24 से अधिक सचिवों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री के साथ अपने फीडबैक साझा किए, पीएम ने उन सब को ध्यान से सुना। इस दौरान दो सचिवों ने हाल के विधानसभा चुनावों में एक राज्य में घोषित एक लोकलुभावन योजना का उल्लेख किया जो आर्थिक रूप से खराब स्थिति में है।
उन्होंने साथ ही अन्य राज्यों में इसी तरह की योजनाओं का हवाला देते हुए कहा कि वे आर्थिक रूप से टिकाऊ नहीं हैं और राज्यों को श्रीलंका के रास्ते पर ले जा सकती हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान सचिवों ने जिस तरह से साथ मिलकर एक टीम की तरह काम किया, उसका उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि उन्हें भारत सरकार के सचिवों के रूप में कार्य करना चाहिए न कि केवल अपने संबंधित विभागों के सचिवों के रूप में और उन्हें एक टीम के रूप में काम करना चाहिए।
उन्होंने सचिवों से सरकार की नीतियों में खामियों पर फीडबैक और सुझाव देने के लिए भी कहा, जिनमें वे नीतियां भी शामिल हैं जो उनके संबंधित मंत्रालयों से संबंधित नहीं हैं। ऐसी बैठकों के अलावा प्रधानमंत्री ने शासन में समग्र सुधार के लिए नए विचारों का सुझाव देने के लिए सचिवों के छह-क्षेत्रीय समूहों का भी गठन किया है।